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कोरोना योद्धाओं ने मिलकर किया रोष प्रदर्शन

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स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्सिंग पर काम करने वाले तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के सभी ठेका कर्मचारियों के संगठन स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन हरियाणा (सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा), एनएचएम में काम करने वाले सभी कैटेगरी के कर्मचारियों के संगठन एनएचएम कर्मचारी संघ हरियाणा व आशा वर्कर्स के संगठन आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा (सीआईटीयू) के संयुक्त आह्वान पर आज तीनों संगठनों के कार्यकर्ता ने भोजन अवकाश के समय अपनी अपनी पीएचसी, सीएचसी व सामान्य अस्पताल में एकत्रित होकर रोष प्रदर्शन कर अपनी मांगों की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित किया।
पंचकुला के सामान्य हस्पताल में हुए रोष प्रदर्शन की अध्यक्षता स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन की जिला प्रधान रमा व आशा वर्कर्स यूनियन की जिला सचिव वंदना के नेतृत्व में की गई।

प्रदर्शन से पहले स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन की जिला प्रधान रमा द्वारा शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई व 2 मिनट का मौन रखा गया।

अध्यक्ष मण्डल ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 के दौरान एनएचएम व ठेका कर्मचारी एवं आशा वर्कर बिना किसी पूर्ण सुरक्षा इंतजाम के अपनी जान को जोखिम में डालकर लगातार कोरोना योद्धा बनकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा कर्मियों को कोरोना योद्धा बताते हुए इन के सम्मान में कभी ताली-थाली बजवाई गई तो कभी दिए जलवाए गए परंतु बार-बार अपील करने के बाद भी सरकार में हमारी एक भी समस्या का समाधान कर अपने फर्ज को नहीं निभाया। इन फ्रंट लाइन कर्मियों को ना तो पर्याप्त सुरक्षा किट ही मिली और ना ही समय पर वेतन।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा की ओर से स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगों का समर्थन करते हुए जिला प्रधान रामपाल मलिक व सचिव विजय पाल सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने देश दुनिया को आईना दिखाया है कि स्वास्थ्य सेवाओं को निजी हाथों में बाजार के हवाले कर जनता को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। संकट की इस घड़ी में जहां सरकारी अस्पताल व उनके कर्मचारी जनहित में मोर्चे पर डटे रहे वहीं प्राइवेट अस्पताल व लेबोरेटरी केवल अपने मुनाफा को बढ़ाने में ही लगे रहे। परंतु सरकार इन सब से सबक लेकर स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण करने की बजाय उल्टे निजीकरण की ओर ही बढ़ रही है।

विभाग में जनसंख्या के मुताबिक जहां मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की पहले ही कमी है वही हजारों खाली पड़े पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है। इन विषम परिस्थितियों में भी स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारू रूप से बनाए रखने की सारी जिम्मेवारी एनएचएम व ठेका कर्मचारियों समेत आशा वर्करों के सिर पर ही है। अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाने के बावजूद इन कर्मचारियों व वर्कर्स की सेवा सुरक्षा तक की कोई गारंटी नहीं है। वास्तव में सरकार द्वारा इन कोरोना योद्धाओं की सेवाओं को सम्मान स्वरूप तुरंत नियमित किया जाना बनता था परंतु सरकार तो अनुबंध के नवीनीकरण में ही अनावश्यक शर्तों को लगाकर और बजट होने के बावजूद समय पर वेतन ना देकर या किस्तों में देकर कर्मचारियों का शोषण कर रही है। सरकार की इस संवेदनहीनता के चलते कर्मचारियों की मानसिक परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं। इस पर फौरन रोक नहीं लगाई गई तो कोरोना के खिलाफ जंग पर भी असर पड़ सकता है।

मांगे:-
1. आबादी के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करो। वर्कलोड अनुसार नए पद सृजित कर सर्वप्रथम उनको पहले से कार्यरत एनएचएम व ठेका कर्मियों के समायोजन से भरा जाए। शेष बचते पदों पर स्थाई भर्ती की जाए।
2. स्वास्थ्य ठेका कर्मचारियों एनएचएम के अंतर्गत लगे सभी केटेगरी के अनुबंधित कर्मचारियों व आशा वर्कर्स को नियमित किया जाए।
3. स्वास्थ्य सेवाओं में निजीकरण एवं ठेका प्रथा की नीतियों पर स्थाई रोक लगाई जाए।
4. आशा वर्कर्स, एनएचएम कर्मी व ठेका कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान सुनिश्चित किया जाए। देरी व किस्तों में वेतन मानदेय देने की प्रथा पर सख्ती से रोक लगाई जाए।
5. एनएचएम का स्वास्थ्य विभाग में विलय कर स्थाई किया जाए। अनुबंधित ठेका कर्मचारियों व आशा वर्कर्स को सेवा सुरक्षा दी जाए।
6. एनएचएम कर्मियों को सातवां वेतन आयोग व आशा वर्कर और ठेका कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 24 हजार रुपये दिया जाए|
7. कोविड-19 के चलते सभी कर्मचारियों/ वर्कर्स को संक्रमण से बचाव हेतु आवश्यक सुरक्षा किट दी जाए। संक्रमित होने की स्थिति में परिवार समेत इलाज का खर्चा विभाग वहन करे।
8. सभी कर्मचारियों को बिना शर्त 50 लाख एक्सग्रेशिया बीमा योजना में शामिल किया जाए। नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर कैशलेस मेडिकल सुविधा दी।
9. पद के अनुसार सभी को जोखिम भत्ता दिया जाए जो कि ₹4000 मासिक से कम नहीं हो।
10. सभी कैटेगरी के सेवा नियम बनाए जाएं व एनएचएम कर्मियों के सेवा नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाएं।
11. कर्मचारी संगठनों से समय-समय पर हुए समझौतों को लागू किया जाए। एनएचएम कर्मियों का आंदोलन के दौरान 35 दिन की हड़ताल अवधि के वेतन का भुगतान किया जाए। लॉकडाउन के दौरान किसी वर्कर/ फैसिलिटेटर के इंसेंटिव में कोई कटौती नहीं की जाए।
12. आशाओं को कोविड-19 के इंसेंटिव का 50% भुगतान किया जाए और आठ एक्टिविटी के काटे गए 50% को भी तुरंत जारी किया जाए।

इस रोष प्रदर्शन को श्रवण कुमार जांगड़ा, सतीश कुमार, रीटा, कुलदीप आदि कर्मचारी नेताओं ने संबोधित किया।

जारीकर्ता
विजय पाल सिंह
जिला सचिव,
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, जिला पंचकुला
9466253228

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