प्राचीन कला केंद्र तथा पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एवं कल्चरल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष संगीत संध्या का आयोजन…
भारतीय शास्त्रीय कलाओं के प्रसार एवं प्रचार के लिए प्रतिबद्ध सांस्कृतिक संस्था प्राचीन कला केन्द्र तथा पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एवं कल्चरल ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एक विशेष संगीत संध्या का आयोजन आज यहाँ टैगोर थिएटर में सायं 6 :00 बजे से किया गया।
जिसमें चंडीगढ़ के जाने माने शास्त्रीय गायक डॉ मलकीत सिंह जडियाला ने अपने सधे हुए गायन की प्रस्तुति देकर एक शानदार शाम को संजोया।
डॉ मलकीत सिंह ने पंजाब विष्वविद्यालय से संगीत की शिक्षा ग्रहण करने के साथ पंजाब विश्वविद्यालय से संगीत में एम.ए. तथा पीएचडी की डिग्री हासिल है।
इन्होने ने ८ वर्ष की अल्पायु में ही गाना शुरू कर दिया थ। बचपन में गुरबाणी के शब्द गाते हुए मलकीत ने गायन संगीत के लिए अपनी प्रतिभा विकसित की। एक वकील के रूप में अपने व्यस्त दिनचर्या के बावजूद, उनका सारा खाली समय ‘रियाज़’ में बीतता है। हिंदुस्तानी गायन उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया क्योंकि उन्होंने खुद को पूरी तरह से इस ‘साधना’ के लिए समर्पित कर दिया । उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के डॉ. भूपिंदर शीतल, प्रोफेसर यशपाल और डॉ. अरविंद दत्ता तथा डॉ. गुरनाम सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला जैसे प्रसिद्ध गायकों के संरक्षण में संगीत सीखा। डॉ. मलकीत सिंह ने मेवात घराने के गायक श्री सुरेश गोपाल श्री खांडे से भी हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की बारीकियां भी सीखीं।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति श्री विनोद एस भारद्वाज इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे और हजूर साहिब के पूर्व ट्रस्टी सरदार चरण सिंह सपरा वरिष्ठ अतिथि के रूप में पधारे। चंडीगढ़ के कई गणमान्य व्यक्ति जैसे श्री राणा गुरमीत सोढ़ी (5 बार विधायक और पूर्व मंत्री), श्री. दविंदर पाल सिंह (वरिष्ठ वकील), श्री. देवेंदर कादयान (अध्यक्ष, मन्नत ग्रुप ऑफ होटल्स), श्री संदीप साहनी (अध्यक्ष, चंडीगढ़ क्लब) और श्री हेरोल्ड कार्वर (संस्थापक , सेंट स्टीफन स्कूल) भी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि और अन्य अतिथियों द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन के बाद, डॉ. मलकीत सिंह जंडियाला ने मंच संभाला और शाम की शुरुआत राग जोग के साथ विलाम्बित बंदिश “पियरवा को बीर माये” से की। फिर उन्होंने मध्य लय में एक बंदिश “करम करतार की जो मो पे आज” प्रस्तुत की और उसके बाद एक तराना प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने गायन का समापन निर्धारित राग श्री में निबद्ध शब्द “रंग रता मेरा साहिब” बोलों के साथ किय। प्रख्यात तबला वादक उस्ताद अकरम खान ने तबले पर अपनी बेहतरीन संगत से कार्यक्रम की सफलता में चार चांद लगा दिए। हारमोनियम पर दिल्ली के जाने माने हारमोनियम वादक श्री सुमित मिश्रा और सारंगी पर प्रसिद्द सारंगी वादक उस्ताद मुराद अली ने बखूबी संगत की।
गायन के बाद एक पुस्तक विमोचन समारोह आयोजित किया गया। डॉ. मलकीत सिंह जंडियाला द्वारा लिखित गुरमत संगीत पर आधारित “आदि ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब का राग प्रबंध, एक विश्लेष्णात्मक अध्ययन” नामक पुस्तक का अनावरण और विमोचन हजूर साहिब के पूर्व ट्रस्टी सरदार चरण सिंह सपरा द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का समापन कला जगत की प्रतिष्ठित हस्तियों का सम्मान समारोह था। चार प्रतिष्ठित हस्तियों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया, जिनके नाम हैं भाई गुरुमीत सिंह शांत( हजूरी रागी, श्री दरबार साहिब, अमृतसर), एसएनए अवार्डी डॉ. शोभा कोसर, (वरिष्ठ कथक गुरु), डॉ. पंकजमाला शर्मा (पूर्व डीन और चेयरपर्सन, पंजाब यूनिवर्सिटी) और पंजाब घराने के तबला गुरु पं. काले राम को इस अवार्ड से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कलाकारों को सम्मानित करने के लिए केंद्र के सचिव सजल कौसर , कथक गुरु एवं केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर तथा पोलो हिंदुस्तानी आर्ट हेरिटेज एंड कल्चरल ट्रस्ट के संस्थापक श्री. अमरदीप सिंह दहिया मौजूद थे ।श्री सजल कौसर ने दर्शकों, मीडिया, विशिष्ट अतिथियों और कलाकारों को धन्यवाद दिया।