साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन शहर में…
चंडीगढ़ 27 नवम्बर 2023ः कार्तिक मास के शुभ अवसर पर सुंदरकांड महिला मंडली, चंडीगढ़ द्वारा सेक्टर 40 डी के मैदान में साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया, कथा 3 दिसम्बर आयोजित की जाएगी। कथा से पूर्व पहले दिन सेक्टर 40 डी से मंडली की प्रधान नीमा जोशी के अध्यक्षता में विधि विधान के साथ भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया। बैंड बाजों के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं व संकीर्तन मंडलियों सहित यह कलश यात्रा जिन जिन मार्गों से होकर गुजरी वहाँ पर निवासियों ने पुष्प वर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। इस कलश यात्रा में गंगोत्री धाम से पधारे कथा व्यास सुरेश शास्त्री विराजमान थे।
कलश यात्रा से पूर्व मंडली सदस्यों ने श्रीमद् भागवत महापुराण की पूजा स्तुति की। जिसके उपरांत कथा व्यास की पूजा की गई फिर अनन्य पाठी ब्राह्मणों की पूजा की गई।
इस अवसर पर सुंदरकांड महिला मंडली की प्रधान नीमा जोशी ने आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक 2 दिसंबर तक किया जाएगा, जबकि 3 दिसम्बर को प्रातः 9 बजे हवन कर पूर्णाहुति की जाएगी। इसी दिन कथा का समय प्रातः 10 बजे से दोपहर 1 बजे निर्धारित किया गया है।
भगवान की भक्ति के साथ सद्कर्म भी अपनाएंः
कथा के प्रथम दिन कथा व्यास सुरेश शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति के साथ सदकर्म करने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत महापुराण में गोकर्ण प्रसंग में कर्म को प्रधानता दी। सद्कर्म करने से गौकर्ण आज भी पूरे सकल ब्रह्मांड में पूजनीय है। जो सुख हमें स्वर्ग में प्राप्त नहीं होता वह सुख हमें भगवान की दिव्य कथा से प्राप्त होता हैं। गौकर्ण जी ने भगवान की इस कथा का रसपान कर ज्ञान अर्जित करके वह सुख प्राप्त किया जिस सुख के लिए अनेकों वर्ष तक ऋषि, मुनि, संत तपस्या करते थे। इसके विपरित धुंधकारी ने सदैव पाप ही किया जिसकी कथा श्रीमद्भागवत कथा में बताई जाती है। कथा व्यास ने नवयुवा पीढ़ी को कथा के माध्यम से संदेश दिया कि हमें अपने माता पिता की आज्ञा का पालन, सम्मान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा का जो सुनता है वह बड़े से बड़े पाप से मुक्त हो जाता है। इस अवसर पर भगवान के मधुर भजन कथा व्यास ने सुनाए, जिसे सुन श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। सभी ने कथा के दौरान भगवान के जयकारे लगाए, जिससे पंडाल गूंजमयी हो गया।