लाइव कैलेंडर

March 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930
31  

LIVE FM सुनें

India News24x7 Live

Online Latest Breaking News

आचार्य श्री 108 सुबलसागर जी महाराज 09.11.2023…

चंडीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर में विराजमान आचार्य श्री सुबलसागर जी महाराज ने कहा कि हे धर्म स्नेही भव्य आत्माओं ! पर निन्दा करना नीच कर्म है। श्रेष्ठ लोग पर निन्दा के दोष से हमेशा स्वयं की आत्म- रक्षा करते हैं। दूसरों की निन्दा करते ही बड़े से बड़े पुरुष भी शीघ्र ही छोटा/लघु हो जाते हैं। पर- निन्दा से पूज्य से पूज्य भी तुरन्त अपूज्यता को प्राप्त हो जाता है, सम्माननीय व्यक्ति भी असम्मान को प्राप्त होता है। लोक में कोई कितना भी गिरा क्यों न हो, फिर भी सज्जन पुरुष अच्छी, कल्याणप्रद, प्रशस्त, पुण्य-वर्धनीय, पाप- क्षयकारी बात ही सुनना चाहता है।

अशुभ भाषा, अशुभ- भाषण सुनने का मन भव्य पुरुषों का कभी नहीं होता है। भव्य धर्मात्मा जीव साधु-महात्माओं के, विद्वानों के सानिध्य को प्राप्त होते ही चातक पक्षी की भाँति एक तो हो ज्ञानीजनों के मुख मण्डल की ओर दृष्टि लगाता है। जैसे चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र की पानी की बूँद को देखता है, उसी प्रकार धर्मात्मा तत्त्वज्ञ- पुरुषों के श्री मुख को देखता है। कब स्वाति की बूँद के समान श्री मुखकमल से सत्यार्थ बोध पूर्ण भूतार्थ देशना प्रकट हो और में अपने कर्ण पटलों की अंजुली लगाकर पी लूँ। समय प्रमाण काल भी व्यर्थ नहीं करना चाहिए। आयु कर्म का एक-एक पल व्यतीत हो रहा है, इसे व्यर्थ मत जाने दो। शेष जीवन का काल जितना श्रेष्ठ कार्यों में जायेगा वही हमारे लिए अत्यन्त ‘शुभ मंगल कल्याण कुशलता का कारण है |

पर निन्दक अपने जीवन का उत्थान नहीं कर पाता है, क्योंकि उसे पर दोष दर्शन से समय ही नहीं मिलता। वह स्वात्म -दर्शन, आत्म विकास का चिंतन कब करें, स्व आत्मोन्नति पर विचार करने के लिए भी समय चाहिए। बिना विचार के किसी भी कार्य की पूर्णता नहीं होती है। पर निन्दा करना बहुत खोटा व्यसन है, जो नीच गोत्र का कारण है | निन्दा रसालु से बचना ही बहुत कठिन कार्य है, कब किसका लोक अपवाद कार दे, निन्दक का कोई विश्वास नहीं|

यह जानकारी संघस्थ बाल ब्र. गुंजा दीदी व श्री धर्म बहादुर जैन ने दी