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कोरोना महामारी में अपना सुहाग खो चुकी महिलाओं को समाजसेवी संस्थाओं द्वारा किया सम्मानित….

चंडीगढ़:-अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर शनिवार को सेक्टर 19 के कम्युनिटी सेंटर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में 15 महिलाओं को सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम समाज सेवी संस्था “द लास्ट बेंचर्स”, भारत विकास परिषद ईस्ट 1-2 एवं ओंकार चैरिटेबल फाउंडेशन के आपसी सहयोग द्वारा आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान कोरोना महामारी व किसी अन्य कारण से अपना सुहाग खोने वाली और उनकी अनुपस्थिति में घर चलाने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। “द लास्ट बेंचर्स” की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली और ओंकार चैरिटेबल फाउंडेशन के चेयरमैन रविंदर सिंह विल्ला की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में चंडीगढ़ नगर निगम की मेयर सरबजीत कौर बतौर मुख्य अतिथि और डिप्टी मेयर अनूप गुप्ता बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे । इस अवसर संस्था की सदस्य नीलम गुप्ता, डेज़ी महाजन, वंदना ठाकुर, शिवांगी,विमला गुप्ता, अनु सिंगला और संध्या धाम भी मौजूद थी। जबकि इस मौके बैम्बिनो एग्रो के अधिकारी राकेश पदम और विकास नौटियाल भी उपस्थित थे। उन्होंने महिलाओं को बैम्बिनो के फ़ूड पैकेट्स सौंपे।इस अवसर पर 15 महिलाओं को राशन किट सहित अन्य सामान देकर उन्हें प्रोत्साहित किया गया।

महिलाओं को राशन किट में आटा, चावल, चीनी, रिफाइंड तेल, चने की दाल, चायपती, नमक, मिक्स दाल, स्टील गिलास सेट आदि जैसे जरूरी सामान उपलब्ध कराया गया।

“द लास्ट बेंचर्स” की प्रेजिडेंट सुमिता कोहली ने बताया कि हर वर्ष विश्व भर में 8 मार्च को “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” (“इंटरनेशनल वीमन्स डे”) मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन का प्रतीक है और इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य भी महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिलाओं और पुरुषों में समानता बनाने के लिए जागरूकता लाना है। साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है। आज महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी सामने आते रहते हैं।

सुमिता कोहली ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चला जा रहा है। उसे ‘भोग की वस्तु’ समझकर आदमी ‘अपने तरीके’ से ‘इस्तेमाल’ कर रहा है। यह बेहद चिंताजनक बात है। लेकिन हमारी संस्कृति को बनाए रखते हुए नारी का सम्मान कैसे किय जाए, इस पर विचार करना आवश्यक है। मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे।

रविंदर सिंह विल्ला ने कहा कि बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुं ओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल हर मैदान में बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।