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फोर्टिस मोहाली और पीएचडीसीसीआई एसएचई फोरम ने ‘महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल’ पर विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन किया…

चंडीगढ़, 24 जनवरी, 2025: फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के एसएचई फोरम के साथ मिलकर आज पीएचडी हाउस में “महिलाओं के स्वास्थ्य की देखभाल” पर एक जानकारीपूर्ण सत्र का आयोजन किया। सत्र में विशेष रूप से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसकी जानकारी फोर्टिस अस्पताल, मोहाली की गायनी ऑन्को सर्जरी विशेषज्ञ, डॉ. श्वेता तहलान ने दी।

डॉ. श्वेता ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में नवीनतम प्रगति पर प्रकाश डाला, नियमित जांच, प्रारंभिक पहचान और समय पर टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया। गायनी ऑन्कोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में, उनके व्याख्यान ने सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और प्रारंभिक प्रबंधन पर महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं। यह महिलाओं में सबसे अधिक होने वाले कैंसरों में से एक है, जिसके हर साल दुनियाभर में 1.2 लाख नए मामले सामने आते हैं।

उन्होंने बताया कि प्रारंभिक चरण के सर्वाइकल कैंसर का अक्सर केवल सर्जरी के माध्यम से इलाज किया जा सकता है, और कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी से बचा जा सकता है। इसके लक्षणों में सहवास के बाद या मासिक धर्म के बीच में रक्तस्राव, अनियमित पीरियड्स, रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव, लगातार या दुर्गंधयुक्त योनि स्राव, और श्रोणि दर्द शामिल हो सकते हैं।

सर्वाइकल कैंसर की जांच के विभिन्न परीक्षणों की जानकारी साझा करते हुए, डॉ. तहलान ने बताया कि इन परीक्षणों में पैप स्मीयर, एचआरएचपीवी टेस्ट, एसिटिक एसिड के साथ वीआईए और वीआईए के बाद का वीआईएलआई शामिल हैं। सर्वाइकल प्री-कैंसर स्टेज का पता लगाने के लिए कोलपोस्कोपी की जाती है, जिसे साधारण सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। अन्य गाइनी कैंसर के लिए कोई नियमित जांच परीक्षण उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, किसी भी चेतावनी संकेत मिलने पर जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श करना बहुत जरूरी है।

नियमित जांच के फायदों पर चर्चा करते हुए, जिसकी सिफारिश 25 से 65 वर्ष की सभी महिलाओं के लिए की जाती है, डॉ. तहलान ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर विकसित होने से पहले एक लंबा प्री-कैंसरस चरण होता है, जिसमें शरीर में असामान्य कोशिकाएं मौजूद होती हैं, लेकिन कैंसर अभी तक विकसित नहीं हुआ होता। इस चरण में, लूप इलेक्ट्रोसर्जिकल एक्सिशन प्रोसीजर (एलईईपी) और कोन बायोप्सी (गर्भाशय ग्रीवा से असामान्य ऊतक को हटाने की सर्जरी) जैसी साधारण सर्जिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से मरीज का पूरी तरह इलाज किया जा सकता है। इससे रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय और अंडाशय को हटाने की सर्जरी) की आवश्यकता नहीं पड़ती और गर्भाशय और अंडाशय को सुरक्षित रखा जा सकता है।

डॉ. तहलान ने सर्वाइकल कैंसर से लड़ने में एचपीवी टीकाकरण के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि लड़कियों के लिए टीकाकरण का आदर्श समय 9 से 14 वर्ष की आयु है, हालांकि कैच-अप टीकाकरण 26 वर्ष की आयु तक किया जा सकता है। बचपन या किशोरावस्था में किया गया टीकाकरण जीवन के बाद के वर्षों में सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मदद करता है।