चितकारा यूनिवर्सिटी ने डॉ. अजय चौधरी को मानद डॉक्टोरेट की उपाधि से सम्मानित किया…
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चितकारा यूनिवर्सिटी ने तकनीकी नवाचार, शैक्षणिक संस्थान निर्माण, और परोपकारी कार्यो में उल्लेखनीय योगदान के लिए एचसीएल के सह-संस्थापक डॉ. अजय चौधरी को मानद डॉक्टरेट (डी लिट) की उपाधि से सम्मानित किया। दूरदर्शी सोच में अग्रणी डॉ. चौधरी ने नवाचार के लिए अपने निरंतर प्रयासों और परोपकार के प्रति प्रतिबद्धता के साथ देश भारत के तकनीकी परिदृश्य पर अमिट छाप, छोड़ी है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और परिवर्तनकारी पहल ने न केवल एचसीएल को अभूतपूर्व प्रगति तक पहुंचाया है बल्कि भारत में प्रौद्योगिकी और शिक्षा के व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र पर भी इसका गहरा प्रभाव डाला है।
इस मौके पर चितकारा यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. अशोक के चितकारा ने कहा, “डॉ. अजय चौधरी की उल्लेखनीय यात्रा और उनका योगदान नवाचार और परोपकार को बढ़ावा देने की की उस भावना को प्रतिनिधित्व करते हैं जिसे हम चितकारा यूनिवर्सिटी में गहराई से संजोते हैं। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और परिवर्तनकारी पहलों ने न केवल एचसीएल को अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाया है बल्कि इसने भारत में प्रौद्योगिकी और शिक्षा के व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र पर भी इसका गहरा प्रभाव डाला है। हमें डॉ. चौधरी को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित करते हुए बेहद गर्व महसूस हो रहा है। इसके जरिए हम उनकी विरासत और भारत के उज्जवल भविष्य को आकार देने की अटूट प्रतिबद्धता को मान्यता देते है। डॉ. अजय चौधरी की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी चितकारा यूनिवर्सिटी उनकी विरासत और तकनीकी नवाचार और परोपकार में उनके योगदान का सम्मान करने में गर्व महसूस करती है।
डॉ. अजय चौधरी की यात्रा 1976 में शुरू हुई जब उन्होंने पांच दूरदर्शियों के एक समूह के साथ एचसीएल की सह-स्थापना की । माइक्रोप्रोसेसर की शक्ति का दोहन करने के सपने से प्रेरित की सोच ने दुनिया में क्रांति ला दी। उनके नेतृत्व में, एचसीएल ने विश्व स्तर पर अपना विस्तार किया और उसने आसियान, चीन और हांगकांग में 50 बिलियन यूएस डॉलर का सफल व्यवसाय स्थापित किया। 1995 में, डॉ. चौधरी ने एचसीएल इंफोसिस्टम्स का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और इसे हार्डवेयर उत्पादों, सिस्टम्स इंटीग्रेशन और मोबाइल टेलीफोनी में अग्रणी बना दिया। उनके रणनीतिक नेतृत्व ने एचसीएल इंफोसिस्टम्स को 15 वर्षों में 12,000 करोड़ (यूएस $1.6 बिलियन) का संगठन को बना दिया जिसने प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत की है।
कॉरपोरेट दायरे से परे, डॉ. अजय चौधरी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और इनफर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय के लिए गठित एक टास्क फोर्स की 2009 में अध्यक्षता करने और 1999 से सरकारी समितियों में रहते हुए भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के नेशनल क्वांटम मिशन के मिशन गवर्निंग बोर्ड के चेयरमैन और नीति आयोग में प्रतिष्ठित फेलो के रूप में साथ ही उनका उनका प्रभाव कई प्रमुख पदों तक फैला हुआ है
उनके योगदान को देखते हुए डॉ. चौधरी को 2011 में प्रतिष्ठित पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें कई अन्य पुरस्कार प्राप्त हुए हैं जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर स्किल्स काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दिया गया लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड 2024 और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन ऑफ द ईयर 2010 शामिल हैं।
एक संस्थान निर्माता और परोपकारी, डॉ. अजय चौधरी ने आईआईटी हैदराबाद और आईआईआईटी-नया रायपुर को नया आकार दिया है। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्वयं चैरिटेबल ट्रस्ट जैसी पहल की है। वह सक्रिय रूप से स्टार्टअप का समर्थन करते हैं और 2021 में उन्होंने ईपीआईसी फाउंडेशन की सह-स्थापना की। इसका लक्ष्य नवाचार को बढ़ावा देना और भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स में उत्पाद राष्ट्र बनाना है।