लाइव कैलेंडर

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  

LIVE FM सुनें

India News24x7 Live

Online Latest Breaking News

किसानों के समर्थन में महिलाओं ने इकट्ठा हो मनाया महिला किसान दिवस…..

Featured Video Play Icon

दिनांक 18 जनवरी पूरे देश में आज मनाया गया महिला किसान दिवस। बरवाला टोल प्लाजा पर महिला किसान दिवस मनाया गया। स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन की जिला प्रधान रमा, दलजीत कौर, जनवादी महिला समिति से निर्मला देवी व नसीब कौर के नेतृत्व में मंच का संचालन किया गया। बरवाला टोल प्लाजा पर और चंडी मंदिर टोल प्लाजा पर 600 महिलाओं ने भागीदारी निभाई। महिला किसान – देश की शान, 18 जनवरी महिला किसान दिवस ज़िंदाबाद, महिला किसानों को किसान मानो, किसान विरोधी, जन विरोधी काले कानून वापस लो!…

रमा ने कहा पिछले डेढ़ महीने से लाखों किसान कड़कड़ाती ठंड में दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। उनका एक ही संकल्प है कि या तो कृषि विरोधी काले कानून रद्द होंगे या फिर शहीदी देकर जाएंगे। अब तक 70 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं।किसानों का आंदोलन जनता का आंदोलन बन चुका है। परन्तु केंद्र की भाजपा सरकार इस सब की अनदेखी करते हुए तानाशाहीपूर्ण ढंग से इन कानूनों को जोर जबरदस्ती से लागू करने पर उतारू है।

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति जोकि देश में महिलाओं का सबसे बड़ा संगठन है, इस आंदोलन का पूरा समर्थन करती है क्योंकि आज हमारे देश का किसान जो लड़ाई लड़ रहा है वह कृषि व्यवस्था को बचाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य हासिल करने के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा, राशन वितरण प्रणाली, पशु पालन तथा रोजगार तथा देश को बचाने की लड़ाई है। इस लड़ाई में किसान-मजदूर महिलाएं भी अगली कतारों में शामिल हैं।

दुनिया का पहला किसान महिला को माना जाता है। महिलाओं के बिना खेती-बाड़ी की कल्पना मुश्किल है। घर में चूल्हा चौका से लेकर गाय, भैंस को चारा, गोबर, दूध निकालने से लेकर फसल की कटाई, निराई, गुड़ाई, छुलाई, चुगाई में महिलाओं की जो भूमिका रहती है। उसको नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। खेती कार्यों का 75% हिस्सा महिलाएं सम्हालती हैं लेकिन वे केवल 12% कृषि भूमि की मालिक हैं। उन्हें किसान होने की मान्यता भी नहीं मिलती है। किसानों को मिलने वाली 6000/- सालाना की राशि से वे वंचित रह जाती हैं। किसानों को मिलने वाली अन्य सहूलियतों को भी वे हासिल नहीं कर पाती। खेती संबंधी योजनाओं व नीतियों में महिलाएं शामिल नहीं हैं। आप सोचिए, अगर महिला किसान आत्महत्या कर लेती है तो उसके परिवार को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिलता। पुरूषों द्वारा किए जाने वाले ज्यादातर कामों से संबंधित तकनीक व मशीनें जल्दी बाजार में आ जाती है जबकि महिलाओं को ज्यादातर काम हाथों से करने पड़ते हैं।

अतः सभी आम जनों से अपील है कि देश को भुखमरी, कुपोषण, महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से बचाने की इस लड़ाई में बड़ी संख्या में हिस्सेदारी करें। किसान आंदोलन के समर्थन में तन मन धन से सहयोग करें तथा ज्यादा से ज्यादा संख्या में आंदोलन में भागीदारी बने। किसान सभा से कर्म चंद सिंह, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा से श्रवण कुमार जांगड़ा, सीटू से जिला सचिव लच्छीराम शर्मा सभी नेताओं ने आज महिला दिवस को संबोधित करते हुए कहा हम सब किसान भाइयों के साथ हैं

जारीकर्ता
रमा जिला प्रधान
सीटू पंचकूला
78370-47490