श्रीराम कथा में केवट प्रसंग व भरत मिलाप के मार्मिक वर्णन से नम हुई आंखें….
श्री राधा माधव संकीर्तन मंडल, सैक्टर 20, चण्डीगढ़ एवं श्रीकृष्ण भक्ति आश्रम मंडल (रजि.), सैक्टर 30, चण्डीगढ़ द्वारा श्री राम कथा का भव्य आयोजन कथा व्यास त्रिदंडीस्वामी श्रील भक्ति विलास त्रिदंडी महाराज जी के श्री मुख से श्री महाकाली माता मन्दिर, सैक्टर 30A, चण्डीगढ़ मे 16 नवंबर तक शाम 3 बजे से 7 बजे तक हो रही हे आज की संगीतमय श्रीराम कथा के पांचवे दिन केवट प्रसंग व भरत मिलाप का अत्यंत मार्मिक वर्णन करते हुए बताया की प्रबल प्रेम के पाले पड़कर प्रभु को नियम बदलते देखा। केवट और भरत मिलाप की कथा का प्रसंग सुनसुना जिसमे केवट ने श्री राम प्रभु से हठ किया कि आप अपने चरण धुलवाने के लिए मुझे आदेश दे दीजिए, तो मैं आपको पार कर दूंगा और भगवान से उनके चरणों का प्रक्षालन मांगा। केवट की नाव से गंगा पार करके भगवान ने केवट को उतराई देने का विचार किया। सीता जी ने अर्धागिनी स्वरूप को सार्थक करते हुए भगवान की मन की बात समझकर अपनी कर-मुद्रिका उतारकर उन्हें दे दी। भगवान ने उसे केवट को देने का प्रयास किया, किंतु केवट ने उसे न लेते हुए भगवान के चरणों को पकड़ लिया। जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है, ऐसे भगवान के श्रीचरणों की सेवा से केवट धन्य हो गया। भगवान ने उसके निस्वार्थ प्रेम को देखकर उसे दिव्य भक्ति का वरदान दिया तथा उसकी समस्त इच्छाओं को पूर्ण किया।
राम कथा में भरत मिलाप प्रसंग वह भावुक क्षण है जब वनवास के 14 वर्ष पूरे होने के बाद भरत, नंदीग्राम में वनवासी वेश में रह रहे श्री राम से मिलते हैं। इस प्रसंग में भरत, श्री राम के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करते हैं, जिन्हें राम प्रेम से गले लगा लेते हैं। इसके बाद श्री राम के पिता की मृत्यु की खबर सुनकर वे व्याकुल हो जाते हैं और भरत उन्हें अपने साथ अयोध्या चलने के लिए मिन्नतें करते हैं की कथा मे भाव पूर्ण वर्णन किया
कार्यकर्म मे भजन कीर्तन सम्राट श्रीपाद बलराम प्रभु जी द्वारा अपने भजनों द्वारा किया गया कार्यकर्म मे भजन कीर्तन उपरांत आरती कर प्रसाद वितरित किया गया


