सितारों का सफर—सुरों के संग’ में गूंजे सुर, सजी बीते दौर की यादों की महफ़िल….
चंडीगढ़, 3 नवंबर 2025: टैगोर थिएटर की दीवारें उस रात सुरों से महक उठीं, जब द हिडन टैलेंट वेलफेयर ट्रस्ट ने अपनी संगीतमय प्रस्तुति “सितारों का सफर—सुरों के संग: ए दिल मुझे बता दे” का आयोजन किया। ट्रस्ट की संस्थापक वीना सोफ्त के नेतृत्व में आयोजित यह कार्यक्रम पुराने हिंदी फिल्मी गीतों के सुनहरे दौर की एक खूबसूरत झलक लेकर आया। यह शाम उन सभी संगीत प्रेमियों के लिए किसी बीते दौर की यादों से भरी यात्रा जैसी थी, जो आज भी बीते दौर के सुरों को दिल से महसूस करते हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि बिंदु मित्तल और पी.एस. गुप्ता ने थे, जबकि अति विशेष अतिथि में आर पी मल्होत्रा, सोनिया सूद, उमेश सूद, बेनु राव, अनुराधा पूरी, प्रदीप शर्मा, एच सी गुप्ता और विशेष अतिथि में नारी उड़ान मंच की संस्थापक स्वर्गीय श्री मति डिम्पल गर्ग के पति कृष्ण गर्ग, नीना, ज्योति कंसल, आदर्श, डॉ सुधांशु, डॉ राजू धीर, डॉ संजीत, डॉ लवलीन, आर सी दास उपस्थित थे। इस दौरान उनके साथ कार्यक्रम की आयोजक वीना सोफ्त, जी एन सोफ्त, परमजीत सिंह सैनी मौजूद थे।
वीना सोफ्त ने जब अपने मधुर स्वर में ‘ए दिल मुझे बता दे’ गाया, तो पूरे हॉल में एक सुकून भरी ऊर्जा फैल गई। इसके बाद सुरों की झड़ी लग गई — गगन और इंदु बाला की जोड़ी ने ‘याद किया दिल ने कहा हो तुम’, पंकज और प्रिया ने ‘देखा एक ख्वाब तो’, और रिक्की सलारिया ने ‘यारी है ईमान मेरा’ , संजीव शर्मा और रेखा ने को कागज़ था ये मन’, रोमी ने ये मेरा दिल प्यार का,शशि कांत और सना कोहली ने ये रातें ये मौसम नदी का किनारा, दीपक ने पर्दा है पर्दा है, रीति मित्तल ने जगत सिंह और आर पी दमन के साथ अजहूँ न आये बलमा, जाने जा ढूढता फिर रहा , जैसे गीतों से समां बांध दिया।
कार्यक्रम में 35 से अधिक सदाबहार गीतों की प्रस्तुति दी गई। शौकिया गायकों ने किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसे महान कलाकारों के गीतों को अपनी आवाज़ में सजीव किया। ‘दीवानों से ये मत पूछो’, ‘रिमझिम के गीत सावन’ और ‘पग घुंघरू बांध मीरा’ जैसे गीतों ने दर्शकों को बीते दौर में लौटा दिया।
कार्यक्रम की आयोजक वीना सोफ्त ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य शौकिया गायकों को लाइव मंच प्रदान करना है, ताकि वे अपने अंदर छिपे हुनर को निखार सकें और संगीत के ज़रिए आत्म-अभिव्यक्ति पा सकें। कार्यक्रम का संचालन सविता गर्ग सावी ने किया, जबकि संतोष कटारिया ने संगीत संयोजन में अपनी शानदार संगत दी।
शाम ढलते-ढलते टैगोर थिएटर बीते दौर की यादों और तालियों की गूंज से भर गया — एक ऐसी रात, जहाँ हर सुर ने पुरानी यादों को फिर से ज़िंदा कर दिया।
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों को आयोजक द्वारा सम्मानित किया गया।


