यूनीक आर्ट्स सोसायटी एवं चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से करवाए गए नाटक….
यूनीक आर्ट्स सोसायटी एवं चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से करवाए गए नाटक जहां से चले थे दो प्रेमियों की कहानी है जो जवानी में आपसे में प्रेम तो करते हैं परंतु किसी कारणवश एक दूसरे के साथ शादी नहीं कर पाते। रास्ते अलग हो जाते हैं, मंजिले बदल जाती हैं फिर अचानक तीस साल के बाद दोनों की मुलाकात हो जाती है और दोनों पुरानी यादों में खो जाते हैं।
बिंदु बताती है कि उसके पति की मृत्यु हो जाने के बाद कैसे बच्चे अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए और वह अकेली रह गई। इसी तरह से राहुल भी उसे अपनी पत्नी की मृत्यु के बारे में बताता है और कहता है कि एक बाप दो बेटों को तो पाल सकता है लेकिन दो बेटे एक बाप को नहीं पाल सकते।
नाटक में दिखाया गया कि आज की युवा पीढ़ी कैसे मां बाप की सेवा करने की बजाए उन्हें नाकार रही है। साथ ही यह भी दिखाया गया कि दोनों दोस्त एक बार फिर से कैसे मिल जाते हैं और एक नई शुरुआत करते हैं। मतलब जहां से चले थे वहीं आकर ठहर गए हैं।
मनमोहन गुप्ता मोनी द्वारा लिखे नाटक का निर्देशन किया सोनिका भाटिया ने साथ ही मुख्य भूमिका भी निभाई है। इसमें उनका साथ दिया सौरभ आचार्य, सौदामिनी और जसवीर जस्सी ने। संगीत नाटक आदमी की तरफ से राजेश अत्रेये ओर वाईस चेयरमैन विक्रांत सेठ मौजूद रहे।
मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे डॉ ज़ोरा सिंह, कुलाधिपति देश भगत यूनिवर्सिटी,
विशेष अतिथि डा तजिंदर कौर
प्रो-चांसलर देश भगत यूनिवर्सिटी तथा नाटक के लेखक मनमोहन गुप्ता मोनी भी विशेष तौर पर उपस्थित रहे।


