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सजीली नृत्य जोड़ी प्रशांत एवं अयाना ने केंद्र की 293वीं मासिक बैठक में जमाया रंग…

मासिक बैठक की परंपरा को जारी रखते हुए प्राचीन कला केंद्र ने 11 मार्च को मासिक बैठक की 293 वीं कड़ी का आयोजन किया। जिसमें युवा और प्रतिभाशाली छऊ नर्तक प्रशांत कालिया और कुचिपुड़ी नृत्यांगना अयाना मुखर्जी ने अपने खूबसूरत प्रदर्शन से शहर के दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। एम एल कौसर सभागार में घुंघरुओं की मधुर थाप और शारीरिक गतिविधियों के संगीतमय प्रवाह से गूंज उठा।

केंद्र की उप रजिस्ट्रार डॉ. समीरा कौसर द्वारा परिचय और स्वागत के बाद नृतक जोड़ी ने अर्धनारीश्वर के साथ शुरुआत की, जो राग अमृतवर्षिनी और विभिन्न तालों पर आधारित एक आह्वानात्मक रचना है। राख के रंग की बाघ की खाल पहने शिव और सोने की पायलों और आभूषणों से सुशोभित सुंदर पार्वती का आश्चर्यजनक कर देने वाले रूप का नृत्य के माध्यम से चित्रण करके इस जोड़ी ने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया इस जोड़ी ने शिव पार्वती दोनों के प्रकृति और पुरुष के रूप में प्रतिनिधित्व का खूबसूरत चित्रण किया। ।इस कॉन्सेप्ट की कोरियोग्राफी गुरु वनश्री राव ने की है। इसके बाद प्रशांत और अयाना ने मीरा भजन “बरसे बदरिया सावन की” पर आधारित नृत्य प्रदर्शन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति मानसून के मौसम के रूप में दर्शाया गया था जिसमें आकाश में काले बादल के साथ बारिश की बूंदे मीरा की आत्मा में कृष्ण की उपस्थिति का प्रतीक थीं। यह रचना ताल-आदि में राग मेघ मल्हार पर निबद्ध है। इसके बाद तंजौर शंकर अय्यर की रचना महादेव शिव शम्भू थी। इस जोड़ी में भक्त को भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए दर्शाया गया है और उनके सभी भक्तों के रक्षक, पवित्रता के प्रतीक और अपने भक्तों के प्रति दयालु और करुणामय बताया गया है। इसके बाद कार्यक्रम का समापन इन्होने पारंपरिक तिल्लाना से किया जो राग सिंधु भैरवी और आदि ताल से सुसज्जित था। इस संगीत को के वेंकटेश्वरन ने संगीतबद्ध किया है। इस प्रस्तुति में छाऊ का शानदार प्रदर्शन और कुचिपुड़ी की शोभा दिखाई गई है। प्रशांत और अयाना के बेहतरीन फुटवर्क और भाव, अभिनय, अभिव्यक्ति और लय और ताल के ज्ञान ने दर्शकों और कला समीक्षकों दोनों से समान रूप से प्रशंसा प्राप्त की है। केंद्र रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर और श्री. सजल कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया.

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