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आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज19.11.2023…

चंडीगढ़ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान परम पूज्य आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज स्वाध्याय के माध्यम से अपने शिष्यों को समझाते हुए कह रहे हैं कि श्रद्धा के माध्यम से यह मनुष्य भव संसार से पर हो जाता है जैन आगम में एक कथानक आता है कि अंजन चोर ने सेठ के वचनों को प्रमाण मानकर अर्थात उसके वचनों पर श्रद्धा करके झूले की समस्त रस्सियों को एक बार में काट दिया था, जिससे विद्या सिद्ध हो गई और वह झुला नीचे रखें बहुत से अस्त्र शस्त्रों पर ना गिर। उससे पूछता है बताओ तुम क्या चाहते हो अंजन चोर यह सब देखते हुए आश्चर्य करता है कि यह कैसे हुआ, वह कहता है उस विद्या से मुझे उन सेठ के पास ले चले जिन्होंने मुझे यह मंत्र दिया था।

एक साधारण सा चोर व्यक्ति मंत्र सिद्ध कर विद्या प्राप्त कर सकता है तो क्या हम नहीं कर सकते? कर सकते हैं आवश्यकता है तो मात्र श्रद्धान की। हम श्रद्धा करें अपने सच्चे देव–शास्त्र गुरुओं के वचनों की उन्होंने जो कहा है वह सब हमारे कल्याण और अच्छे के लिए है हमें दुखों से निकलकर, सुखों को देना चाहते हैं हमारे गुरु महाराज संसार के दुखी व्यक्ति को देखकर दया और करुणा से उनका हृदय द्रवीभूत हो जाता है वह तो कहते हैं कि अगर हमारा बस चले तो हम इन समस्त दुखी व्यक्तियों को सुखी कर दें, लेकिन कोई किसी के लिए कुछ नहीं कर सकता है, प्रत्येक व्यक्ति को अपने किए हुए कर्मों के फलों को भोगना ही पड़ता है। संसार का प्रत्येक व्यक्ति सुखी रहे, हमारे गुरु महाराज प्रत्येक समय यही मंगल भावना भाते हैं। इसलिए श्रद्धा के साथ करो या मरो की स्थिति में कूद जाओ संघर्ष के मैदान में सफलता अवश्य मिलेगी। संसारिक स्थिति में या पारमार्थिक स्थिति में हर जगह श्रद्धा, भरोसा के साथ काम चलता है। इस श्रद्धा भरोसा के अभाव में व्यक्ति एक कदम भी आगे नहीं चल सकता है एक छोटा सा बच्चा जब चलना सीखता है तो वह भी अपना कदम तभी आगे बढ़ाता है जब हमें विश्वास हो अपने ऊपर और सामने वाले के ऊपर तभी वह आगे कदम बढ़ाता है। इसलिए श्रद्धा के साथ आगे चलो मोक्ष मार्ग पर सफलता अवश्य तुम्हारी कदम चूमेंगी। यह जानकारी बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी।

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