जन जन कल्याण करे मेरा डमरू वाला,, हर मुश्किल आसान करे मेरा डमरू वाला….
श्री शिव महापुराण कथा ज्ञान तथा भक्ति यज्ञ मे कथा व्यास श्री हरि जी महाराज के श्रीमुख से सैक्टर -51 सी, चण्डीगढ़ मे हो रही श्री शिव महापुराण कथा के मे आज महाराज जी ने पार्वती माता के जन्म का वर्णन किया। कहा कि ब्रह्मा जी ने नारद जी से कहा कि मेरे पुत्र सनकादी ने पित्रों की तीन कन्याओं में मेना को आशीर्वाद दिया कि वह विष्णु के अंशभूत हिमालय गिरि की पत्नी होंगी। उससे जो कन्या होगी वह पार्वती के नाम से विख्यात होगी। कहा कि रामचरितमानस में भी आया है कि सती जी ने मरते समय भगवान हरि से यह वर मांगा था कि मेरा हर जन्म में शिवजी के चरणों में अनुराग रहे। इस कारण हिमाचल के घर जाकर पार्वती के रूप में प्रकट हुई। नारद जी ने हिमाचल की पुत्री का हाथ देखकर बताया कि शिवजी को छोड़कर इनका दूसरा वर नहीं हो सकता है। यदि आपकी कन्या तप करे तब भगवान शिव को वर के रूप में प्राप्त कर सकती है। इस दौरान पार्वती ने महान तप किया। कुछ दिन जल और वायु का भोजन किया। कठोर उपवास किया। जो वेल पत्र सूखकर पृथ्वी पर गिरते कई वर्षों तक उन्हीं को खाया। इससे उनका नाम उमा पड़ गया। पार्वती की तपस्या से शंकर जी भी खुश हुए और उन्होंने सप्तर्षि को पार्वती की परीक्षा लेने भेजा। ऋषियों ने पार्वती जी से कहा कि नारद जी के कहने में मत आओं और हट छोड़ दो। बताया कि ब्रह्मा जी की आज्ञा पाकर पंडितों द्वारा अग्नि की स्थापना करके वहां ऋग्वेद, यजुर्वेद तथा श्यामवेद के द्वारा अग्नि में आहुतियां दी गई। शिव पार्वती विवाह में भक्तगण आनंद में झूमकर विवाह गीत गाने लगे।
कथा में महाराज जी ने भजनों का
चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी,,,,,
बूढ़े बैल पे शिव जी बैठे गले मुंड की माला , सारे अंग भभूति लगाये गले नाग है काला , काली ओढ़े हैं कमरिया हिमाचल नगरी चली शंकर की बरतिया हिमाचल नगरी,,,,,,
जन जन कल्याण मेरा डमरू वाला,, हर मुश्किल आसान करे मेरा डमरू वाला,,,,,,,,
है धन्य तेरी माया जग में शिव शंकर डमरू वाले,,,,
बहुत भारी मात्रा में भक्तों ने कथा व्यास के प्रवचनों तथा भजनों का आनंद लिया कथा उपरांत भगवान् भोले शंकर की सामूहिक आरती के बाद
भंडारा प्रसाद वितरित किया


