पर्यावरण परिवर्तन: कारण, प्रभाव और समाधान….
चण्डीगढ़:–पर्यावरण परिवर्तन आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, जो हमारे ग्रह के भविष्य को प्रभावित कर रही है। इसके कारणों, प्रभावों को समझना आवश्यक है ताकि हम इस समस्या का सामनकर सके और एक स्थाई भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सके। यह विचार पर्यावरण विशेषज्ञ मनीषा शर्मा ने प्रकट किए।
वैश्विक स्तर पर पर्यावरण परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इसके परिवर्तन के मुख्य कारण:-
1) जीवाश्म ईंधन के जलने से ग्रीन हाउस गैसे जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मिथेन का उत्सर्जन होता है जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देते हैं।
2) वनों की कटाई से न केवल पेडो की संख्या कम होती है बल्कि यह जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ावा देती है क्योंकि पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।
3) औद्योगिक गतिविधियों से भी प्रदूषण और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है जो पर्यावरण परिवर्तन को बढ़ावा देता है।
पर्यावरण परिवर्तन के प्रभाव व्यापक है और हमारे जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित करते हैं। चरम सीमा मौसम की घटनाए जैसे तूफान, बाढ़ और सुखाएं हो गई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण परिवर्तन से समुद्र के स्तर में वृद्धि हो रही है जिस से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। पर्यावरण परिवर्तन ने पारिस्थितिकी तंत्र को भी असंतुलितकर दिया है, जिसे से जैव विविधता को खतरा होता है।
पर्यावरण परिवर्तन की रोकथाम के लिए हमें कई कदम उठाने होंगे ताकि एक स्थाई भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सके। जैसे जीवाश्म ईंधनों पर अपनी निर्भरता को कम करके नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना होगा। ऊर्जा दक्षता में भी सुधार करना होगा। वनों के संरक्षण के साथ साथ वृक्षारोपण कार्यक्रमों को भी बढ़ावा देना चाहिए। प्लास्टिक उपयोग को कम करके प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
सामूहिक प्रयासों और जागरूकता के माध्यम से पर्यावरण परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सकता है।


