लाइव कैलेंडर

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  

LIVE FM सुनें

India News24x7 Live

Online Latest Breaking News

एसपीसीए चंडीगढ़ में घोर उपेक्षा, पीड़ा और कुप्रबंधन का बोलबाला, बेजुबानों के हालात दयनीय…

चंडीगढ़, 25 जून, 2025: चंडीगढ़ और नॉर्थ रीजन में पशु कल्याण के लिए काम करने वाले रजिस्टर्ड चेरिटेबल ट्रस्ट सहजीवी ने चंडीगढ़ के सेक्टर 38 पश्चिम में स्थित सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (एसपीसीए) में बेहद खराब हालात और सिस्टेमेटिक कुप्रबंधन को उजागर किया है, जो यूटी में एकमात्र सरकारी पशु चिकित्सा आश्रय (शेल्टर) है। सहजीवी की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (ईडी) निक्की लत्ता गिल ने हाल ही में एसपीसीए सेक्टर 38 वेस्ट से पशुओं को रायपुर कलां एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) में स्थानांतरित करने की गलत योजना का मुद्दा भी उठाया, क्योंकि सरकारी शेल्टर में मरम्मत और रिपेयर का काम होना है, जो अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है। उन्होंने मीडिया को रायपुर कलां में पशुओं – मुख्य रूप से कुत्तों की भयानक स्थिति के बारे में भी जानकारी दी।

सहजीवी की ईडी निक्की लत्ता गिल ने आज यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि “घायल, बीमार और बेजुबान पशुओं के लिए आश्रय स्थल के रूप में जो कल्पना की गई थी, वह पशुओं की उपेक्षा, दुर्व्यवहार और घोर पीड़ा के एक भयानक सेंटर में बदल गई है। एसपीसीए अब सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स नहीं बल्कि सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स बन गई है।”

निक्की ने मीडिया को रायपुर कलां में पशुओं को रखे जाने की भयावह स्थिति की तस्वीरें और वीडियो दिखाए, उन्होंने रायपुर कलां में स्थानांतरित होने से पहले एसपीसीए 38 वेस्ट में पशुओं की दयनीय स्थिति को भी प्रदर्शित किया। निक्की ने कहा कि, “29 अप्रैल, 2025 को जानवरों की दुर्दशा और भी बदतर हो गई, जब एसपीसीए-38 वेस्ट में अभी तक शुरू नहीं हुए रेनोवेशन कार्य के कारण इसमें रखे गए जानवरों को अचानक और बिना किसी योजना के बंद पड़े रायपुर कलां एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) केंद्र में स्थानांतरित करना पड़ा, जिसे मूल रूप से एक अस्थायी नसबंदी सुविधा के रूप में डिजाइन किया गया था, जिसमें एक एनिमल शेल्टर के रूप में कार्य करने की कोई क्षमता नहीं थी।”

एबीसी सेंटर की स्थिति के बारे में अधिक जानकारी साझा करते हुए गिल ने कहा कि ” इस बदलाव के परिणाम भयावह रहे हैं। कुत्तों को लगभग 4×3 फीट के केनेल में ठूंस दिया जाता है, वे चलने में असमर्थ होते हैं, गंदगी, मल और खून से घिरे होते हैं। स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता या मेडिकल केयर की कोई भी सुविधा उनके पास नहीं है।”

गिल के अनुसार, लकवाग्रस्त कुत्तों को बिना इलाज के घावों, खुले घावों और पूरी तरह से उपेक्षा के साथ मरने के लिए छोड़ दिया गया था। सीसीटीवी की कमी और परिसर से वालंटियर्स को हटाने से ये जगह अब जानवरों को दर्द देने का एक चेंबर बन कर रह गया है। उन्होंने कहा कि एबीसी सेंटर, जो नसबंदी के बाद 3-5 दिनों के लिए बना है, वहां अब जानवरों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया जाता है, जो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 का सीधा उल्लंघन है।

गिल ने दावा किया कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लगभग 96 लाख रुपये के वार्षिक बजटीय अनुदान (आरटीआई रिकॉर्ड के अनुसार) के बावजूद, शेल्टर अपने निवासियों, कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों और पक्षियों सहित 150 से अधिक छोटे जानवरों के साथ-साथ कई बड़े जानवरों को मेडिकल केयर, पोषण या मानवीय देखभाल में न्यूनतम स्तर तक भी प्रदान करने में लगातार विफल रहा है। उन्होंने कहा कि एसपीसीए के कर्मचारी बेहद लापरवाह, परले दर्जे के झूठे, अपने कर्तव्य के प्रति उदासीन, घायल जानवरों के प्रति शत्रुतापूर्ण, अयोग्य या कम योग्य और बेहद लापरवाह हैं।

उन्होंने खुलासा किया कि आश्चर्यजनक रूप से, केवल 0.6 प्रतिशत फंड्स ही दवाओं और अस्पताल की देखभाल के लिए आवंटित की गई, 3 प्रतिशत भोजन के लिए, जबकि वार्षिक अनुदान का 96 प्रतिशत केवल कर्मचारियों के वेतन पर चला गया, जिससे खर्च की प्राथमिकता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठे। निक्की ने कहा कि “96 लाख रुपये के वार्षिक अनुदान में से 92 लाख रुपये की चौंकाने वाली राशि वेतन पर चली गई। एसपीसीए की पशु कल्याण बोर्ड की 2020 की निरीक्षण रिपोर्ट में भी इसका उल्लेख किया गया था और 5 साल बाद भी कुछ नहीं बदला है।

मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए गिल ने कहा: “रायपुर कलां में एसपीसीए एक टार्चर हाउस यानि यातना गृह – कॉन्सेंट्रेशन कैम्प बन गया है। कुत्तों को बेसिक भोजन या उपचार के बिना अनिश्चित काल के लिए छोटे अस्वास्थ्यकर केनेल में बंद करना, उनके साथ दुर्व्यवहार करना और फिर उन्हें समाज में छोड़ देना, कुत्तों के काटने की बढ़ती समस्या को दूर करने में मदद नहीं करेगा बल्कि इसे और बदतर बना देगा। यहां तक कि कैदियों को भी अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खुले मैदानों तक पहुंच का अधिकार है।

निक्की ने कहा, “हम तत्काल राहत उपायों को लागू करने की मांग करते हैं, जैसे कि उन जानवरों के लिए खुली जगह की व्यवस्था करना जो 2 महीने से स्वतंत्र रूप से नहीं घूम रहे हैं। इसके अलावा, इस बदलाव को लागू करने और इसकी देखरेख करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है, क्योंकि वे जानवरों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचा रहे हैं और वे इस बदलाव के लिए पूरी तरह से तैयारी ही नहीं कर सके।”

निक्की ने कहा, “सेक्टर 38 में रेनोवेशन पूरा होने तक एसपीसीए के संचालन को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि वर्षों से क्रूरता, नियमों का उल्लंघन, भोजन और दवा आदि के लिए धन की कमी लगातार बनी हुई है। सरकार ने सुविधाएं दी हैं, लेकिन अगर उनका सही तरीके से उपयोग नहीं किया जा रहा है तो इसका क्या मतलब है? क्या जानवरों को जानबूझकर पीड़ित करने के लिए लाया जा रहा है? खाना पकाने के लिए गैस सिलेंडर के लिए भी पैसे नहीं हैं।”

निक्की ने कहा, “हम एसपीसीए संचालन और एमसी के एबीसी कार्यक्रम को अलग-अलग करने की भी मांग करते हैं, क्योंकि उनके पास अलग-अलग बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, पशु चिकित्सा कर्मचारियों आदि के साथ स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करने के लिए पूरी तरह से अलग-अलग मेंडेट्स हैं।”

निक्की ने अंत में कहा कि जानवरों और मनुष्यों को दोनों की बेहतरी के लिए सकारात्मक कदम उठाकर शांतिपूर्वक और खुशी से सह-अस्तित्व में रहना होगा क्योंकि एक के साथ बुरा व्यवहार सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर एक-दूसरे को प्रभावित करेगा।