प्राचीन कला केन्द्र की 290वी मासिक बैठक में मिश्रा बंधुओं द्वारा शास्त्रीय संगीत की सुरमयी प्रस्तुति…..
प्राचीन कला केन्द्र जोकि कला संस्कृति के निस्वार्थ भाव से पिछले 6 दशकों से अधिक समय से निरंतर कला के प्रचार प्रसार में कार्यरत है, पिछले 24 वर्षों से लगातार आयोजित की जा रही मासिक बैठकों की श्रंखला में आज यहां आज यहां केंद्र के एम एल कौसर सभागार में 250वीं मासिक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें प्रतिभावान एवं स्थापित कलाकारों ने अपनी मधुर प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया आज के कार्यक्रम में पंडित गोपाल मिश्रा के एकल तबला वादन एवं मिश्रा बंधुओं प्रकाश मिश्रा एवं दीपक मिश्रा के युगल गायन ने बखूबी समां बांधा।

आज के कार्यक्रम की शुरुआत जाने माने तबला वादक पंडित गोपाल मिश्रा के तबला वादन से हुई जिस में उन्होंने एकल तबला वादन से दर्शकों का मनोरंजन किया। पंडित गोपाल मिश्रा ने तीन ताल में पारम्परिक पेशकार के बाद कायदे , पालते , रेले, गत , निकास आदि पेश किया और साथ की अपने घराने की कुछ खूबसूरत रचनाएँ पेश किया जिसका दर्शकों ने खूब आनंद उठाया।
इसके उपरांत पंडित दीपक मिश्रा एवं प्रकाश मिश्रा द्वारा शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी गयी जिस में मिश्रा बंधुओं ने राग जयजयवंती से शुरुआत की जिस में पारम्परिक आलाप के पश्चात विलंबित एक ताल की भक्तिमयी रचना “मन में मैं नित धियायूँ जानकी नाथ” पेश की। इसके उपरांत मध्य लय तीन ताल से सजी बंदिश ” ” अब मैं अपने राम को रिझाऊं ” प्रस्तुत करके शाम को राम के रंग में रंग दिया। इसके बाद खूबसूरत बंदिश “बनवारी श्याम गिरधारी” जोकि त्रिताल में निबद्ध थी, पेश करके खूब तालिया बटोरी। साथ ही द्रुत एक ताल में पिरोयी गयी बंदिश “मन में बस गयो श्याम सुंदर की छवि” पेश करके दर्शकों की सराहना प्राप्त की। इस के बाद प्रकाश मिश्रा एवं दीपक मिश्रा ने एक ताल में निबद्ध तराना प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के अंतिम भाग में मिश्रा बंधुओं ने पंजाब के रंग में रमे गुरु नानक देव जी के भजन ” जो नर दुःख में दुःख नहीं माने ” पेश करके दर्शकों को निहाल कर दिया। इसके पश्चात एक खूबसूरत ठुमरी जमुना किनारे प्रस्तुत की। कार्यक्रम के अंत में राग भैरवी पर आधारित भजन सुमिरन कर ले मेरो मना पेश करके खूब समां बांधा। इनके साथ तबले पर पंडित गोपाल मिश्रा और हारमोनियम पर सुमित मिश्रा ने बखूबी संगत की।
कार्यक्रम के अंत में केंद्र के सचिव श्री सजल कौसर एवं रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया।
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