आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज 21.11.2023…
चंडीगढ़ दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान परम पूज्य आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज ने अपने शिष्य समूह को संबोधित करते हुए कहा कि जो कुछ हो रहा है वह अच्छे के लिए हो रहा है और जो कुछ होगा वह भी अच्छे के लिए होगा और जो कुछ हो चुका है वह भी अच्छे के लिए हुआ l इन सब परिस्थितियों के बीच जो समता रख कर अपने लक्ष्य की तरफ दृष्टि रखता है वह ही सफलता को प्राप्त होता है l अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रति नित पुरुषार्थ शील बने रहो l आज के पुरुषार्थ से ही कल का भाग्य बनता हैl
अच्छा, बुरा होने वाले कार्य में संकलेश्ता ना कर उधमशील बने रहो क्योंकि हमारे आगम ग्रंथो में आचार्य भगवान ने कहा कि जिस देश में जिस काल में जिस कारण से जिस जीव का जो होना है वह नियत है इसे बड़े-बड़े से इंद्र, चक्रवर्ती यहां तक की स्वयं भगवान भी नहीं टाल सकते हैं l इसलिए अच्छे कार्यों के करने में अपने मन को लगाओ l अपने लक्ष्य की और धैर्य धारण कर लगे रहो समय आने पर सब अच्छा होगा l भाग्य और पुरुषार्थ दोनों एक दूसरे के पूर्वक हैं पुरुषार्थ अभाव में भाग्य नहीं बनता और भाग्य में होने पर पुरुषार्थ करने से लक्ष्य की प्राप्ति होती ही है इसलिए जागृत करो अपने पुरुषार्थ को और लग जाओ अपने इष्ट के लिए सफलता तुम्हें प्राप्त होगी l हमारे तीर्थंकर भगवान ने भी तीर्थंकर भगवान बनने से पहले प्रबल पुरुषार्थ किया था वही पुरुषार्थ वर्तमान में भाग्य रूप होकर भगवान बन पाए पुरुषार्थ सामान्य नहीं होता, अंतरंग परिणाम में परम विशुद्धी को जागृत करना पड़ता, परम विशुद्धि के कारण ही कषाय मंद होती हैं कषाय की मंदता में भी प्रबल पुरुषार्थ करने पर ही कषाय को पूर्णता नष्ट कर अनंत चतुष्टय रूप अवस्था को प्राप्त होते हैं lयह अनंत चतुष्टय रूप अवस्था ही अनंत सुख का धाम है इससे यह ज्ञात होता है कि अगर हमें सुख रूप अवस्था प्राप्त करना है तो पुरुषार्थ पूर्वक ही भाग्य को जगाओ l भाग्य के होने पर सब कुछ प्राप्त होता हैl इसलिए समता भाव, धैर्य पूर्वक संकलेश्ता से दूर होकर तीव्र पुरुषार्थ करते जाओ सब अच्छा होगा l यह जानकारी बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन जी ने दी