हरियाणा के पेपरलैस रजिस्ट्री सिस्टम पर डीड राइटर्स का प्रहार, सरकार के आधे-अधूरे सिस्टम ने बढ़ाई जनता की परेशानी….
चंडीगढ़, 21 नवंबर : डीड राइटर वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले चंडीगढ़ प्रेस क्लब में महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। जिसकी अध्यक्षता हरियाणा डीड राइटर वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान प्रदीप कुमार शर्मा ने की। बैठक में पेपरलैस रजिस्ट्री व्यवस्था की खामियों, अव्यवस्थाओं और सुधार के सुझावों पर जोरदार चर्चा हुई। प्रधान प्रदीप शर्मा ने कहा कि संगठन पेपरलैस रजिस्ट्री व्यवस्था का स्वागत करता है, परंतु इसकी लॉन्चिंग जल्दबाजी में की गई। अगर सिस्टम मजबूत तैयारी के साथ लागू होता तो हरियाणा में यह मॉडल देश का सबसे उत्तम मॉडल बन सकता था। लेकिन अधूरी तैयारियों की वजह से इसमें खामियां ही ज्यादा नजर आ रही हैं।
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सबसे बड़ा मुद्दा: सिटिजन आईडी से टाइपिस्ट द्वारा अपलोड
एसोसिएशन ने बताया कि वर्तमान में सिटिजन सेलर की आईडी से दस्तावेज अपलोड होना उसकी सहमति माना जा रहा है जबकि असल में तहसील/सब-तहसील में काम करने वाले टाइपिस्ट अपनी आईडी से दस्तावेज अपलोड कर रहे हैं। यह स्थिति गंभीर इसलिए है क्योंकि टाइपिस्ट सिटिजन नहीं माने जा सकते। एक सिटिजन साल में 2-5 रजिस्ट्री करा सकता है, लेकिन टाइपिस्ट को प्रतिदिन पांच दस्तावेज अपलोड करने की अनुमति है। माह में लगभग 100 अवैध अपलोड तक हो सकते हैं। ऐसी रजिस्ट्री कानूनी रूप से अवैध मानी जा सकती है। एसोसिएशन ने मांग रखते हुए कहा कि अगर सरकार वाकई भ्रष्टाचार खत्म करना चाहती है तो तहसील कार्यालयों को पासपोर्ट ऑफिस की तरह पेपरलैस और फेसलेस बनाया जाए। इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
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ये हैं महत्वपूर्ण मांगे
अध्यक्ष ने कहा कि कंप्यूटर ऑपरेटर का ट्रांसफर तीन माह में होना अनिवार्य हो। कई कंप्यूटर ऑपरेटर वर्षों से एक ही जगह जमे हुए हैं जबकि नियम स्पष्ट कहते हैं कि किसी ऑपरेटर को तीन माह से अधिक एक स्थान पर न रखा जाए। पुराने इंतकाल के लिए अलग पोर्टल बनाया जाए। कई नागरिक 10-20 साल पुरानी प्रॉपर्टी का इंतकाल नहीं करा पा रहे। इसके लिए अलग पोर्टल की आवश्यकता है। जमाबंदी में गलती सुधारने का अधिकार पंजीकृत डीड राइटर को मिले। मामूली नाम संशोधन जैसी सुविधाएं पंजीकृत डीड राइटर्स को दी जाएं। जमाबंदी 100-200 पेज तक की होती है इसलिए इसे स्कैन करवाने की बाध्यता खत्म की जाए।
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पेपरलैस सिस्टम में आधार-पैन की फिजिकल कॉपी क्यों?
डीड राइटर्स ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब सिस्टम पेपरलैस है तो दस्तावेजों की फिजिकल कॉपी क्यों मांगी जा रही है? उन्होंने कहा कि दस्तावेजों पर नंबर भी हाथ से लिखे जा रहे हैं। जिसे सॉफ्टवेयर द्वारा जनरेट होना चाहिए। वसीका लेखन फीस बढ़ाई जाए। लाइसेंस पांच वर्ष के लिए नवीनीकरण हो। बैठक में यह भी बताया गया कि वसीका लेखन फीस पहले से लंबित है, इसे तुरंत बढ़ाया जाए। वसीका लाइसेंस पांच साल के लिए नवीनीकरण किया जाए। दस्तावेज अपलोड होने के बाद कोई कमी न निकाली जाए ताकि आमजन को बार-बार रिवर्ट शुल्क का नुकसान न हो। डीड अपलोड करने का अधिकार सिर्फ डीड राइटर को दिया जाए। एसोसिएशन ने दोहराया कि राजस्व डीड एक अत्यंत संवेदनशील और कानूनी दस्तावेज है। इसे अपलोड करने का अधिकार केवल सिटिजन और पंजीकृत डीड राइटर को मिले। एसोसिएशन ने कहा कि सरकार बिना वेतन दिए रोजगार सृजित कर सकती है इसलिए नए जिले, तहसील व सब-तहसील में नए वसीका नवीस के पद बनाए जाएं। बैठक में हरियाणाभर से आए डीड राइटर्स सहित एसोसिएशन के सचिव भूपिंदर सिंह, उपाध्यक्ष ज्ञान सिंह, कार्यकारिणी सदस्य सुरेंद्र सिंगला, गोपी चंद जिंदल, जसवीर सिंह सहित बड़ी संख्या में वसीका लेखक मौजूद रहे।


