सीएलएफ लिटराटी के 13वें संस्करण के साहित्यिक सत्रों की भव्य शुरुआत….
चंडीगढ़, 22 नवंबर: चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी (सीएलएस) द्वारा आयोजित 13वें संस्करण सीएलएफ लिटराटी 2025 (चंडीगढ़ लिटफेस्ट) के अंतर्गत शनिवार से साहित्यिक सत्रों और पुस्तक विमोचनों की शुरुआत हुई। दिन की शुरुआत डॉ. सुमिता मिश्रा, फेस्टिवल डायरेक्टर एवं चेयरपर्सन (सीएलएस) के स्वागती भाषण से हुई, जिसके बाद राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के प्रेसीडेंट माधव कौशिक ने उद्घाटन संबोधन दिया। इसके उपरांत साहित्यिक संवादों की औपचारिक शुरुआत हुई।
डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि पुस्तक प्रेमियों की एक साधारण सी शुरुआत से सीएलएफ लिटराटी आज न केवल क्षेत्र बल्कि पूरे भारत के सबसे बहुप्रतीक्षित साहित्यिक आयोजनों में से एक बन चुका है।
उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष की थीम ‘वर्ल्ड विदिन वर्ड्स’ बिल्कुल उपयुक्त है, क्योंकि हम मानते हैं कि प्रत्येक शब्द के भीतर अर्थ, भावना और इतिहास की एक पूरी दुनिया छिपी होती है। यह थीम हमें याद दिलाती है कि हर वाक्य एक द्वार है, हर अनुच्छेद एक ऐसा मार्ग है, जो हमें उन स्थानों तक ले जाता है जहाँ हम कभी भौतिक रूप से नहीं जा सकते, उन मनों तक पहुँचाता है जिनसे हम अन्यथा कभी नहीं मिल पाते और हमें अतीत तथा भविष्य की कल्पनाओं से जोड़ता है।
साहित्यिक चर्चाओं की शुरुआत ‘द पावर ऑफ ए स्टोरी: एडवरटाइजिंग इनसाइट्स’ सत्र से हुई, जिसमें विज्ञापन जगत के दिग्गज प्रह्लाद कक्कड़ से लेखिका अराधिका शर्मा ने संवाद किया। ‘इंडियन डेमोक्रेसी: इवॉल्विंग पॉलिटी एंड पब्लिक डिस्कोर्स’ सत्र में पूर्व सांसद एवं लेखक शाहिद सिद्दीकी, लेखक राशिद किदवई और पुरस्कार विजेता पत्रकार नीरजा चौधरी ने वरिष्ठ पत्रकार रमेश विनायक से बातचीत की। ‘बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन’ सत्र में प्रसिद्ध लेखक दीप हलदर और लेखिका एवं शोधकर्ता रामी देसाई ने वरिष्ठ पत्रकार कार्तिकेय शर्मा से संवाद किया। इस दौरान दीप हलदर की पुस्तक ‘इंशाल्लाह बांग्लादेश’ का भी विमोचन किया गया।
‘बुक बज़’ सत्र के अंतर्गत मेहक ग्रोवर की पुस्तक ‘द साइलेंट ब्रेव’ तथा मंजू जैदका की पुस्तक ‘द लीजेंड ऑफ सांझी-गिरी’ का विमोचन भी किया गया।
इसके बाद ‘शब्द की सुगंध: हिंदी साहित्य का नया दौर’ सत्र आयोजित हुआ, जिसमें माधव कौशिक, चंद्रा त्रिखा एवं चंद्रशेखर वर्मा ने वरिष्ठ पत्रकार शायदा बानो के साथ संवाद किया। ‘दिल दे कागज़ उत्ते: नवीं लहर दे कलमकार’ सत्र में प्रसिद्ध कवि बुब्बू तिर ने लेखक रावी पंधेर से बातचीत की। ‘चंडीगढ़: द सिटी दैट इज़, एंड दैट वाज़न्ट’ सत्र में पत्रकार विभोर मोहन और वास्तु इतिहासकार राजनीश वट्स ने लेखक राजीव लोचन से संवाद किया। डॉ. सुमिता मिश्रा ने ‘शी राइट्स, शी लीड्स: स्टेटक्राफ्ट एंड स्टांज़ा’ सत्र में पत्रकार मनराज ग्रेवाल से बातचीत की, जबकि ‘अनटेम्ड साइलेंसेज़: द मैनी लाइव्स ऑफ संध्या मृदुल’ सत्र में अभिनेत्री व कवयित्री संध्या मृदुल ने लेखिका सोनिया चौहान से संवाद किया।
शाम के समय सीएलएस ने ‘नृत्य प्रांगण’ के सहयोग से भारतीय विद्या भवन, सेक्टर 27 में भरतनाट्यम प्रस्तुति ‘स्वरित मुद्राएं’ का आयोजन किया, जिसे डॉ. सुचेता भिड़े–चापेकर की शिष्याओं ने प्रस्तुत किया।
समापन दिवस- नवंबर 23, साहित्यिक सत्रों से भरपूर रहेगा। महोत्सव के अंतिम दिन का सबसे अधिक प्रतीक्षित सत्र ‘बिहार डायरीज़ एंड ग्राउंड ज़ीरो: रियल हीरोज़, रियल स्टोरीज़’ होगा, जिसमें आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा भाग लेंगे, जिनकी बेस्टसेलर कृतियाँ ‘बिहार डायरीज़’, ‘लाइफ इन द यूनिफॉर्म’ एंड ‘पुलिस अफेयर्स’ पर आधारित एक लोकप्रिय ओटीटी सीरीज़ बनाई जा चुकी है। इसके अतिरिक्त, इस दिन का एक और प्रमुख आकर्षण सीएलएफ लिटराटी अवॉर्ड्स 2025 रहेगा।


