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दलितों तुम जब तक समाज के लिए संगठित नहीं होंगे, तब तक 15% वाला 85% पर राज़ करेगा – एडवोकेट विवेक हंस गरचा….

न्यू कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) केंद्रीय अध्यक्ष एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने आज चंडीगढ़ सैक्टर -37 में बाबा साहेब को फूल मालाओ के साथ नमन किया। उसके बाद धनास वार्ड नं.15 स्माल फ्लैटस में नुक्कड़ सभा की उन्होंने अपने भाषण में बोलते हुए कहा कि बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर जी को शत – शत नमन बाबा साहब आंबेडकर एक बड़े महान नेता थे | लेकिन नेहरू ने उन्हें लोकसभा में जाने से एक बार नहीं दो बार रोका। कांग्रेस ने 1952 के आम चुनाव एवं 1953 के उपचुनाव में आंबेडकर के खिलाफ न सिर्फ अपना उम्मीदवार उतारा बल्कि उन्हें हराने के लिए खुला प्रचार किया। जहां से कांग्रेसी नेताओं के दलित विरोधी मंसूबों का साफ पता चलता है |

एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि आज नेहरू जी होते तो मैं पूछता- नेहरू जी , क्या हो जाता अगर बाबा साहब आंबेडकर जी एक बार लोकसभा में चले जाते ? शायद इसीलिए आज तक चंडीगढ़ संसदीय सीट से किसी दलित को टिकट नहीं दी गई कांग्रेस व भाजपा दोनों दलित विरोधी राजनीतिक संगठनों ने दलितों के ख़िलाफ़ षड्यंत्र तैयार कर दलितों को सत्ता से दूर रखा | शायद इसीलिए आज तक देश भर के 9 केंद्र शासित प्रदेशों में से एक भी संसदीय सीट रिज़र्व नहीं है | एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने बोलते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग से मांग कर कहा कि सबसे अधिक दलित जनसंख्या चंडीगढ़ में है इसलिए चंडीगढ़ को एस.सी रिज़र्व संसदीय सीट ऐलान दिया जाना चाहिए क्योंकि चंडीगढ़ संसदीय सीट दो राज्यों को रिप्रेजेंट करती है इससे दलित भाईचारे को और भड़ावा मिलेगा और समाज पहले की अपेक्षा अधिक मजबूत व संगठित होगा |

खैर, दो तथ्य और गौरतलब है। जब बाबा साहेब 1952 में लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का उस सीट पर क्या रुख था ? गौर तो इस पर भी कर सकते हैं कि जनसंघ का कोई उम्मीदवार उस सीट पर क्यों नहीं लड़ा था ? खैर, बाबा साहेब के प्रति यह कांग्रेस के तिरस्कार का भाव नहीं तो और क्या था कि 1956 में प्रधानमंत्री रहते नेहरू ने खुद को भारत-रत्न दे दिए मगर उन्हें बाबा साहेब डॉ भीम राव अंबेडकर याद नहीं आये। इसके बाद 1971 में बेटी इंदिरा ने भी खुद को भारत रत्न दिया, लेकिन उन्हें भी बाबा साहेब आंबेडकर याद नहीं आये। खुद को खुद ही भारत रत्न देने की बेशर्मी भारत के लोकतंत्र में दूसरे किसी राजनेता ने नहीं की है। इसमें नेहरू-इंदिरा अनोखे हैं। 1984 में राजीव गांधी आये लेकिन उन्हें भी अंबेडकर याद नहीं आये। यह संयोग नहीं बल्कि तिरस्कार की घूँट पी रहे वक्त की प्रतीक्षा का एक प्रतिफल था कि 1989 में एक गैर-कांग्रेसी सरकार बनी तो बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर जी को भारत रत्न मिला। अब अगर चालीस वर्षों में नेहरू-गांधी परिवार ने अंबेडकर को यह सम्मान दे दिया होता, तो वीपी सिंह दोबारा तो नहीं दे देते न ?

खैर, आज बाबा साहब आंबेडकर जी के लिए मोदी जो कर रहे हैं, वह केवल एक राजनीतिक स्टंट है जिसे साधारण भाषा में वोट बैंक की राजनीती कहा जा सकता है ? नेहरू-इंदिरा परिवार ने भी दलितों के लिए कुछ नहीं किया तभी तो किसी ओर को आंबेडकर पर काम करने का मौका मिला। 17 अगस्त,1998 में बाबा साहेब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी की विचारधारा से प्रभावित होकर प्रिंसिपल राम पाल हंस जी ने दलितों को आगे लाने के लिए “न्यू कांग्रेस पार्टी” का गठन किया परन्तु अफ़सोस ये बंटा हुआ दलित समाज आज तक एक ना हो पाया | अब भला अन्य राजनीतिक दलों को “न्यू कांग्रेस पार्टी” (एनसीपी) से भी दिक्कत हो रही होगी क्योंकि “न्यू कांग्रेस पार्टी” देश के युवाओं को राजनीति में आगे आने का मौका दे रही है,क्योंकि देश का 70% प्रतिशत जनसंख्या युवा वर्ग की है | युवा भारत का निर्माण करने की बात के साथ – साथ (NCP) सुप्रीमो एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने दलितों को संसदीय चुनावों में बराबर की भागीदारी देकर “न्यू कांग्रेस पार्टी” ने अन्य राजनीतिक दलों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है !!

एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि कांग्रेसीयों और भाजपा वालों को अच्छा लगता है कि देश की ईंट-ईंट पर नेहरू-इंदिरा-राजीव-मोदी-योगी का नाम हो। खैर, भाजपा का दलित विरोधी चेहरा बेनकाब हो चुका है दलित समाज के देश के पूर्व राष्ट्रपति को सोमनाथ मंदिर की सीढ़ियों में पूजा करवाके | जो लोग अपने मंदिर से पानी नहीं पीने देते वो आपको बराबरी हक़ देंगे ये आपका वहम है ये पानी की लड़ाई बहुत पुरानी है | दलित समाज हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं ये बात 1931 में बाबा साहिब ने अंग्रेजो को समझा दी उन्हें समझ आ गया परन्तु हमारे समाज के फर्जी ठेकेदार मुकबर के रूप में आज भी अपनी समाज के ख़िलाफ़ ढाल बनकर अन्य राजनीतिक संगठनों से जुड़े हैं |

हाल ही में दिल्ली और पंजाब में लुटेरों की सरकार आई जो कि आम आदमी का मुखौटा ओढ़े दोनों राज्यों को हाथों हाथ सरेआम लूट रहे हैं | ये लोग भी अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ावर्ग व अल्पसंख्यक के ख़िलाफ़ हैं | भगवंत मान सरकार में चंद पैसों के लिये नाचने वाली नचार अंडर ग्रेजुएट आयाश संविधान विरोधी, दलित विरोधी को मान साब कैबिनेट मंत्री बनाते हैं क्योंकि संविधान व बाबा साहिब के ख़िलाफ़ उसने गंदे शब्दों का प्रयोग किया | जिस पर मामला भी दर्ज हुआ लेकिन सरकार बनते ही सब रफ्फा दफ्फा हो गया | चंद पैसों के लिये नाचने वाली नचार अंडर ग्रेजुएट आयाश संविधान विरोधी, दलित विरोधी वह महिला बाद में संविधान को ही साक्षी मान कर शपथ ग्रहण करती है ऐसे चंद पैसों के लिये नाचने वाली नचार अंडर ग्रेजुएट आयाश संविधान विरोधी, दलित विरोधी व बाबा साहिब को बुरा भला कहने वाली सरकार बनने के बाद संविधान को साक्षी मानकर शपथ लेती हैं विधानसभा जैसे पवित्र सदन में बैठने के लिये | इसको कहते हैं थूक कर चाटना | एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि वह नारी जाति का सम्मान करते हैं क्योंकि बड़े-बड़े पीर, पैगम्बर, महान शख्ससियातों ने नारी की कोख से ही जन्म लिया | परन्तु दलित विरोधी मनसूबे रखने वाली महिलाएं यह जान लें कि नारी को बराबरी का हक़ बाबा साहिब ने ही संविधान में दिलवाया |

दलित विरोधी केजरीवाल अमृतसर दौरे में सभी धार्मिक स्थलों पर गया मगर उसे “भगवान वाल्मीकि तीर्थ “नजर नहीं आया। यह दलित विरोधी सोच है एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि दलितों से अगर इतनी हमदर्दी है तो सबसे पहले पंजाब कैबिनेट से संविधान व बाबा साहेब का अपमान करने वाली महिला को पार्टी से व कैबिनेट से निष्कासित करें | एडवोकेट विवेक हंस गरचा ने कहा कि केजरीवाल देश की जनता को गुमराह करके बाबा साहिब की तस्वीर अपने कार्यालय में लगाकर जनता के हिमायती बनने की कोशिश ना करें | यदि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ावर्ग व अल्पसंख्यक के लिये इतनी हमदर्दी है तो राज्यसभा में बोर्ड एडवाइजरी कमेटी में कितने दलितों को लगाया गया केजरीवाल व भगवंत मान नाम बताये |

कानपुर के चौबेपुर में एक दलित बुजुर्ग ने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करते हुए प्रधानी चुनाव में अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट दिया।
भाजपा सरकार में यही गलती उस बुजुर्ग व उसके परिवार को मंहगी पड़ गई। बेरहमी से पीटते हुए बुजुर्ग की हत्या कर दी। यू.पी में योगी द्वारा आरक्षण नीति पूर्ण रूप से लागू ना होने देना दलित विरोधी भाजपा के राज में यह अत्याचार और कब तक होंगे ? मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ऐसी वारदातों पर मौन कब तक रहेंगे ?
दलित विरोधी – नरेंद्र मोदी, अल्पसंख्यक विरोधी – नरेंद्र मोदी, किसान विरोधी – नरेंद्र मोदी, पिछड़ा विरोधी – नरेंद्र मोदी, नौजवान विरोधी – नरेंद्र मोदी, आवाम विरोधी – नरेंद्र मोदी |

कटेंगे पर मेरे फिर भी मेरी परवाज़ बोलेगी,
मेरी खामोशियों में भी मेरी आवाज बोलेगी।
कहाँ तक तुम मिटाओगे मेरी हस्ती मेरा जज़्बा,
ये मिट्टी ज़र्रे ज़र्रे से मुझे जाँबाज़ बोलेगी।।

एडवोकेट विवेक हंस गरचा
+919988538929