India News24x7 Live

Online Latest Breaking News

साधु संगती से खोटा भी खड़ा होता है – आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज…

चण्डीगढ़ जैन मंदिर में विराजमान आचार्य श्री सुबलसागर ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि हे धर्मात्माओं ! जैसे मुर्दे को वेंटीलेटर पर रखा जाए तो जिंदा नहीं रहेगा, कच्ची माटी के घड़े में जल भरोगे तो नहीं भरेगा, मूर्ख को चाहे कितनी ही किताबें पढ़ा दो तो वह नहीं समझेगा, अपचाने वाले व्यक्ति को खूब खिलाया जाए तो वह पचा नहीं सकता वैसे ही अपात्रों में कुछ भी भरा नहीं जाता, जिसमें अपनी योग्यता नहीं होती उस पर कुछ भी पुरुषार्थ करने में अपना ही नुकसान होता है। आज हमारी पात्रता तो बहुत है हम णमोकार और अहंकार दोनों ही को समान समझ सकते हैं। चाहे तो णमोकार के सहारे ऊँचा उठ सकते हैं और अहंकार के सहारे नीचे गिर सकते हैं। देखा जाये तो सब अपने हाथ में हैं समझाया उसको ही जायेगा जो समझ सकता है। ध्यान रहे जैसा करोगे, वैसा पाओगे। शक्कर को शक्कर मिलेगी और कंक्कर को कंक्कर। बियर-बार, क्लब में जाने की बजाए मंदिर में जायेंगे तो आत्मान्नति स्वतः मिलेगी।

आज की युवा पीढ़ी पैसे देकर भी जहाँ से नरक मिलता है ऐसे वियर-बार क्लब थियेटरों में जाना पसंद करती है और बिना पैसों के जहाँ से स्वर्ग सुख मिलता है मंदिर, धर्मसभा, गुरुओं के पास जाना पसंद नही करते । साधु संगति से खोटा भी खरा हो जाता है। बियर बार में जाने वाला बिगड़ता हीँ जाएगा और साधु के पास आने वाला सुधरता ही जायेगा। कभी ऐसे भी मौके पड़ते है कि जिसने ज्यादा पैसा खिलाया उसे तो वोट ही नहीं मिलता, क्योंकि पात्रता बहुत बडी चीज है।

हम अपनी पात्रता की चर्चा करें तो हम भी संयम तपस्या के पात्र हैं। मनुष्य के अलावा किसी में भी चारित्र पालन करने की पात्रता नहीं। अपनी पात्रता पहचानिए और भीतर के परमात्मा को जगाइए। सारी दुनियाँ में सारी चीजें उपलब्ध होगी लेकिन अध्यात्म, मैत्री भावना, ऋषि धर्म आदि मात्र भारत में ही मिलेंगे। बाकि के देश भले ही सभ्यता में आगे हो, लेकिन खानपान तो बिगड़ा ही है। सभ्यता बढ़ने से महानता नहीं आती है। सभ्यता के साथ नैतिकता और धार्मिकता भी आवश्यक है। ज्ञानी आचारनिष्ट होता है। बड़ी बड़ी बातों से, लाखों शास्त्र छापने से ज्ञानी नहीं होते, कभी कुछ न कुछ न जानने वाला भी प्राज्ञावान सामान्य तपस्वी भी भवसागर पार हो जाता है।

पूजा, भक्ति आदि क्रिया से उपार्जित पुण्य परम्परा से मोक्ष का कारण है। शुभ कर्म सुशील है और अशुभ कर्म कुशील है। जिनशासन की अद्भुत महिमा है जिसमें मुनिराज आहार न मिले तो खुश होते हैं कि अहो कर्मों की निर्जरा करने का अवसर मिला ऐसे साधुओं की संगति से पुण्य उपार्जन करें, और अपना कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें। यह जानकारी बाल ब्र. गुंजा दीदी एवं श्री धर्मबहादुर जैन ने दी।

लाइव कैलेंडर

October 2024
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  

LIVE FM सुनें