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पत्रकारिता में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर फेसबुक और फोर्टिस हेल्थ द्वारा विशेष सत्र आयोजित….

पत्रकारों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बहस और उनका समाधान अत्यंत ज़रूरी है और मीडिया संस्थानों को विभिन्न स्तरों पर मीडियाकर्मियों द्वारा सामना किए जाने वाले मानसिक तनाव पर ध्यान देना चाहिए। विशेष कर कोविड जैसी विषम परिस्थितियों में तनाव के स्तर और अवसाद के संकेतों की पहचान की जानी चाहिए और चिकित्सा सलाह लेने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। फोर्टिस हेल्थ की सक्रिय मदद से फेसबुक (मेटा) द्वारा आज चंडीगढ़ में आयोजित पत्रकारों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रशिक्षण सत्र का यह सार था।

तनाव जीवन की एक मनोवैज्ञानिक और शारीरिक प्रतिक्रिया है। तनाव की थोड़ी मात्रा अच्छी हो सकती है, जिससे आप बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। हालांकि निरंतर चुनौतियों के कारण अत्यधिक तनाव आपको इससे निपटने की क्षमता को क्षीण कर सकता है।

फेसबुक और फोर्टिस हेल्थकेयर ने द वोक्स फाउंडेशन के सहयोग से आज चंडीगढ़ में पत्रकारों के सामने आने वाले मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में आज मानसिक स्वास्थ्य और इसके प्रबंधन के बारे में चर्चा हुई । इस सत्र में, डॉ समीर पारिख के नेतृत्व में फोर्टिस नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के विशेषज्ञों ने बताया कि एक पत्रकार के रूप में अपने मानसिक स्वास्थ्य और भलाई की चुनौतियों का प्रबंधन कैसे करें, और इसी तरह की परेशानी का सामना करने वाले मित्रों और सहकर्मियों का समर्थन कैसे करें।

सत्र की शुरुआत मेटा न्यूज पार्टनरशिप टीम से राम्या वेणुगोपाल व मेटा में स्ट्रैटेजिक पार्टनर डेवलपमेंट ट्रुशर बरोट के संबोधन से हुई। राम्या ने सभी का स्वागत किया और मीडियाकर्मियों के लिए आयोजित इस विशेष सत्र के आयोजन के विषय और अवधारणा का परिचय दिया।

स्वतंत्र पत्रकार पंपोश रैना इस जानकारी पूर्ण सत्र के मॉडरेटर रही, अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में अक्सर अधिक काम का दबाव और समय की तंगी का सामना करना पड़ता है, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पत्रकार कैसे अपनी जीवनशैली को बदलकर पत्रकारिता के क्षेत्र में बेहतर परिणाम दे सकता है, उन्होंने कहा की चाहे वह क्षेत्र से दर्दनाक कहानियों की रिपोर्टिंग हो या ग्राफिक फुटेज और डिजिटल विषय का प्रबंधन करना हो, आज पत्रकारों को पहले से कहीं अधिक चुनौतियों और दबावों का सामना करना पड़ता है। इस बारे में व्यापक जानकारी तथा चर्चा के लिए यह अपनी तरह का पहला विचार मंथन कार्यक्रम चंडीगढ़ में आयोजित किया गया है।

आज के इस सत्र में ट्राइसिटी क्षेत्र की मीडिया से लगभग 100 से अधिक सदस्यों और प्रख्यात शिक्षा संस्थानों चितकारा यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ़ कॉलेज के मॉस कम्युनिकेशन के छात्रों ने भाग लिया। वॉक्स फाउंडेशन के निदेशक अविनाश कल्ला और जमील अहमद खान भी इस सत्र का भाग रहे । वेब न्यूज़ पोर्टल बाबुशाही डॉट कॉम इस ज्ञानवर्धक सत्र के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य सत्र का संचालन प्रख्यात मनोचिकित्सक और टेडएक्स (TEDx) स्पीकर डॉ. समीर पारिख ने किया, जो पिछले दो दशकों से मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे हैं और वर्तमान में फोर्टिस हेल्थकेयर में फोर्टिस नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के निदेशक हैं। आज के कार्यक्रम में उनका साथ डॉ कामना छिब्बर, एक प्रशिक्षित चिकित्सक जोकि फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग की प्रमुख और डॉ दिव्या जैन ने दिया ।

डॉ समीर पारिख ने तनाव से मुक्ति पाने के लिए टिप्स देते हुए कहा कि मानसिक शांति ही हमारी कार्यक्षमता, तालमेल, आत्मविश्वास व कार्य क्षेत्र में बेहतर परिणाम का आधार है। मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य एक-दूसरे के पूरक हैं। मानसिक रूप से शांत और स्वस्थ व्यक्ति ही अपनी क्षमताओं का भरपूर दोहन करके अच्छे परिणाम दे सकता है। उन्होंने कहा कि यदि आप लगातार बिगड़ते मूड, नींद और भूख के बदलते पैटर्न, अपना ध्यान और प्रेरणा बनाए रखने में चुनौतियों का अनुभव करते हैं, लोगों के साथ रहने से बचने की इच्छा रखते हैं और अपनी पसंद की गतिविधियों से अलग होने का अनुभव करते हैं, तो मदद लेने में कभी संकोच न करें और तुरंत किसी पेशेवर से परामर्श लें।

अंत में डॉ कामना छिब्बर और डॉ दिव्या जैन ने मीडिया कर्मियों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दिया।