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मेयर चुनाव में दो अयोग्य वोट का मामला और कमिटी के समक्ष पेश पार्षदों की मांग अतीत में हुई क्रॉस वोटिंग की भी हो जांच…

चंडीगढ़ जनवरी में हुए मेयर चुनाव के दौरान दो वोट अयोग्य पाए जाने के मामले में गठित तीन सदस्य कमिटी के समक्ष पेश हुए पार्षदों ने अतीत में हुए चुनाव के दौरान हुई क्रॉस वोटिंग की भी जांच की मांग की है। कमिटी में सुरिंदर बग्गा, रामवीर भट्टी और चंद्रेशेखर की जगह दी गयी थी। पूरे एक महीना बीत जाने के बाद भी अभी खुलासा नही हो सका कि दो वोट खराब करने वाले कौन से पार्षद थे । मामले को लेकर बीजेपी में भीतर ही अंतरकलह मची हुई है।

सूत्रों के मुताबिक अभी तक कमिटी के समक्ष पूर्व मेयर राजबाला मालिक, देवेश मोदगिल, राजेश बिट्टू और गुरप्रीत सिंह ढिल्लो पेश हुए है। अतीत की तरफ निगाह डाली जाए तो मेयर और वित्त एवं अनुबंध समिति में क्रॉस वोटिंग से लेकर बगावत का खेल खेला जा चुका है। 2017 की वित्त समिति में पार्षद हीरा नेगी क्रॉस वोटिंग का शिकार हुई थी। जब कि 2018 में देवेश मोदगिल और सीनियर डिप्टी मेयर रह चुके गुरप्रीत ढिल्लो को भी न केवल क्रॉस वोटिंग का शिकार होना पड़ा था। बल्कि उस समय पूर्व मेयर आशा जसवाल और वर्तमान मेयर रविकांत शर्मा ने बगावत का नामांकन का पर्चा भी भर दिया था। पार्टी हाई कमान की सख्ती के बाद दोनों ने नामांकन वापस ले लिए थे। 2019 में तो क्रॉस वोटिंग का खेल कई आगे बढ़ गया। तब पार्टी के मेयर प्रत्याशी राजेश कालिया के खिलाफ सतीश कैंथ ने बगावत कर चुनाव लड़ा था। यह भी क्रॉस वोटिंग का रहस्य आज तक बना रहा। जब कि कैंथ को पार्टी की सख्त करवाई का सामना करना पड़ा। अब वह कांग्रेस के पार्षद हो चुके है। वही , अयोग्य वोट मामले में जो तीन सदस्य कमिटी गठित की गई है उनमें से एक सदस्य तो 2018 में खुद बागवत करने वाले पार्षदों के साझीदार रह चुके है।

वही, सूत्रों के अनुसार पार्षदों ने साफ किया है कि उन्होंने ईमानदारी से पार्टी के उम्मीदवार को वोट दिया है। अपनी इम्मानदारी साबित करने के लिए जब कमिटी ने फ़ोटो की मांग की तो कुछ पार्षदों का तर्क था कि चुनावी प्रक्रिया में इस तरह की हरकत असवैधानिक मानी जाती है। वही , यह भो कहा गया कि क्रॉस वोटिंग जैसी बीमारी को दूर किया जाना जरूरी है।
वही, पूरे प्रकरण कि आनेवाले दिनों में मामले को लेकर पार्टी में उठा पठक हो सकती है। चुनावी वर्ष में सत्ता पक्ष के लिए यह शुभ संकेत नही माने जा सकते है। बीजेपी के लिए समस्या इस लिए भी बढ़ गयी है कि विपक्ष ने पूर्व मेयर और वरिष्ट कांग्रेसी नेता सुभाष चावला को नया प्रधान नियुक्त किया है, जिनके दिमाकी कौशल और रणनीति को हर कोई लोहा मानता है। चावला और उनकी टीम बीजेपी को घेरने में कोई कसर नही छोड़गी।