राष्ट्रीय संगठन महामंत्री की पहली बैठक में असुंष्ट पार्षदों का फूटा गुस्सा
चंडीगढ़ भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में गुटबाजी अपने चरम पर हैं। पहले ही इस वर्ष जनवरी में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्त के बाद दावे किए जा रहे थे कि अब से पार्टी में सिर्फ एक ही गुट रहेगा, उन दावों की मंगलवार को राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ पहली ही बैठक में कलई खुल गई। वर्तमान स्थानीय संगठन से असुंष्ट पार्षदों का राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के समक्ष गुस्सा फूट पड़ा। कम से कम छह पार्षदों ने अपनी स्थानीय संगठन के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की। बताया जाता है कि बैठक में तमाम आरोपों के बीच अतीत में हुए विवाद की घटनाओं के गड़े-मुर्दो तक उखाड़े गए । दिचलस्प बात यह थी कि हाईकमान से राष्ट्रीय संगठन महामंत्री की स्थानीय संगठन के नेताओं से लेकर पार्षदों के साथ पहली बैठक थी। लेकिन उनके लिए पहली ही बैठक खट्टे अनुभव वाली रही। अब देखने वाली बात यह है कि हाईकमान में वह क्या रिपोर्ट देते हैं और भविष्य में इसका क्या प्रभाव पड़ता है। कर्फ्यू और लॉक डाउन के बाद पार्टी की यह हाईकमान के किसी नेता के साथ संभवत : पहली बैठक थी, इस बैठक में कुल मिलाकर लंबे समय से अपनी नाराजगी दबाए बैठके असंतुष्ट पार्षदों को यही दबाई हुई नाराजगी जताए जाने का खुला मंच मिल गया।
निगम की कार्यप्रणाली से लेकर अतीत में हुई बगावत और क्रास वोट का जिन्न फिर बोतल से आया :
बैठक में निगम की कार्यप्रणाली से लेकर अतीत में मेयर चुनाव के दौरान हुई बगावत और क्रास वोट का जिन्न आरोपों के रूप में फिर से बोतल से बाहर निकल गया। एक पार्षद ने तो निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल तक उठा दिए। जब सवाल उठाए जा रहे थे तब राष्ट्रीय संगठन मंत्री के साथ मेयर भी विराजमान थी।
कार्यकारिणी गठन के साथ ही पड़ गई थी फूंट, अब उठा रहे तमाम सवाल :
दरसल, मार्च में स्थानीय कार्यकारिणी के गठन और इसमें जिन को जगह दी गई थी उसे लेकर ही कार्यकर्ताओं और पार्षदों के बीच फूंट पड़ गई थी।
बैठक में चुनी गई कार्यकारिणी पर तमाम तरह के सवाल किए गए। आरोप यहां तक लगाए गए कि कार्यकारिणी में दो वर्ष पहले मेयर चुनाव में बगावत का बिगुल बजाने वाले कार्यकर्ताओं को जगह दिए जाने के साथ कमान सौंप दी गई। इस तरह पिछल्ले चार-पांच वर्षो में मेयर चुनाव में क्रास वोट के खेल को भी उछाला गया। बैठक में राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के समक्ष इसमें एक असंतुष्ट धड़ा पूर्वांचल से संबंधित था। लॉक डाउन पीरियड के दौरान श्रमिक एक्सप्रैस में प्रवासी मजदूरों को यूपी, बिहार भेजे जाने वाली पार्टी की टीम में भी पूर्वांचल के नेताओं ने बैठक में उनकी अनदेखी किए जाने के आरोप लगाए। जबकि बैठक में यहां तक कहां गया कि प्रवासी मजदूरों को भेजने की जिम्मेवारी उन नेताओं को सौंप दी गई जिनकी पूर्वांचल में कोई पकड़ नहीं है या फिर वह कुछ महीने पहले ही विरोधी दल का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं
पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले और बाहरी लोगों को जगह :
बैठक में यहां तक आरोप लगाए गए कि नव गठित कार्यकारिणी में दो बार पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ने वालों को जगह दी गई, साथ ही यह भी कहा गया कि शहर से बाहर निवास करने वाले चार को भी कार्यकारिणी में जगह दे दी गई। कार्यकारिणी में जगह दिए जाने पर एक कार्यकर्ता की उम्र पर भी सवाल उठे आरोप लगाया गया कि एक 70 वर्ष से अधिक को भी जगह दी गई


