“माई बाप कोई हो”: 60 साल पहले उजाड़े गए मूल गांवों के रिहैबिलिटेशन की सुध लेने वाला चाहिए….
चंडीगढ़। नॉमिनेटेड काउंसलर , चेयरमैन कोऑपरेटिव बैंक और पेंडु विकास मंच के अध्यक्ष सत्तेन्द्र सिंह सिद्धू ने कहा कि चंडीगढ़ के मूल 28 गांवों के निवासियों की दशा सुधारने के लिए सिर्फ़ केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाना ही पर्याप्त नहीं है। उन्होंने यह टिप्पणी संघ राज्यक्षेत्र चंडीगढ़ के शीत कालीन सत्र में बिल लाने के संदर्भ में की।
सत्तेन्द्र सिंह सिद्धू ने कहा, “चाहे मामला केंद्र सरकार के स्तर पर विचाराधीन ही क्यों न हो, लेकिन पिछले 60 वर्षों से इन गांवों के मूल वासियों को चंडीगढ़ में कोई आरक्षण नहीं मिला और न ही पंजाब ने, जो चंडीगढ़ को अपना मानता है, इन्हें कुछ दिया। अब इन गांवों की वास्तविक सुध लेने वाला कोई होना चाहिए, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य।”
उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि चंडीगढ़ के उजाड़े गए गांवों के लोग लंबे समय से उपेक्षित हैं और उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करना अब प्राथमिकता बननी चाहिए। सिंह ने केंद्र और राज्य सरकारों से इन मूल निवासियों के अधिकारों की रक्षा और उनके लिए ठोस योजनाएं बनाने की अपील की।
सत्तेन्द्र सिंह सिद्धू की यह पहल चंडीगढ़ के मूल गांवों के हित में संवेदनशीलता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।


