India News24x7 Live

Online Latest Breaking News

सोच का फर्क – आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज…

चंडीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर में ज्ञान रूपी गंगा का प्रवाह नित्य वह रहा हैं बहुत से भव्य पुरुष ही है जो उसमें गौता लगाकर अपनी आत्मा को ठंडक पहुंचाकर उसका हित करने में उद्यमशील हैं।आचार्य श्री 108 सुबलसागर जी महाराज समझा रहे हैं कि हे ज्ञानी आत्माओं !

कौन क्या कर रहा है यह महत्त्वशाली नहीं है इस भीड़ भरी दुनियाँ में। मैं क्या रहा हूँ यह महत्त्वशाली है क्योंकि आज वर्तमान के समय में प्रत्येक व्यक्ति समझदार ही नहीं, बहुत अधिक समझदार है। सभी को पता है कि हमारा अच्छा-बुरा किससे होगा। प्रत्येक व्यक्ति के ज्ञान का क्षयोपशम भिन्न भिन्न होता है, एक जैसी सोच बाले व्यक्तियों का मिलना बहुत मुश्किल जिसको ज्ञान का विकास जैसा होगा, उसकी सोच भी वैसी ही होगी। घर-परिवार में पिता जी विचार करते हैं कि मेरा बेटा भी मेरे जैसे परिवार में, व्यापार में,समाज में अपना नाम कमाऐं। लेकिन पिता जीकी सोच से क्या वेटा ऐसा करने में सक्षम हो सकता है नहीं कहो बेटे का ज्ञान अलग है वह तो इनसे भी बड़े-बड़े सपने देखता है अपने व्यापार -व्यवसाय को विदेशों में ले जाना चाहता है। इसमें तो पिता को ख़ुशी सुख महसूस होता है और मान लो अगर बेटा कम दिमाग का रहा तो पिता के सपने पर पानी फिर गया इसलिए योग्यता के होने पर ही सफलता मिलती है। योग्यता भी हो अगर निमित न मिले तो कार्य सफल नहीं हो सकता है। इसलिए इस भीड़ भरी दुनियाँ में नाना प्रकार के लोग है प्रत्येक व्यक्ति की सोच भी भिन्न भिन्न है सब अपना हित किस में है जानते है, कैसे हमें कार्य करना है इसकी क्रिया विधि भी जानते है। हम इस बीच में उसको कोई सलाह, राय देते है बिना मांगे तो हमसे बड़ा मूर्ख कार्य नहीं होगा। इसलिए अपने व्यक्तित्त्व को बनाऐं रखने के लिए अपने आपको महत्व देना सीखो, खोजों मेरे में क्या- क्या गलितयाँ है उनसे दूर होने का मी पुरुषार्य करो। अपनी ओर ध्यान देने वाला ही संसार में ऊँचा उठ सकता है और इसके साथ ही अगर और अधिक योग्यता है तो समझा सकते। ‘दूसरों के मार्गदर्शक बन सकते हैं

दुनियाँ के लोग क्या-क्या कह रहे हैं इसकी परवाह किए विना सत्य और निष्ठा से बस आगे बढ़ते जाओ। राजनीति की दुनिया में लोग एक- दूसरे को कितना बुरा भला कहते है उस व्यक्ति का पुतला बनाकर उसके सामने ही जला देते है वह भी वहाँ से हँसता हुआ निकल जाता, बस क्यों कि उसकी दृष्टि अपने काम पर है ऐसे में वह सब बातों को इग्नोर कर आगे बढ़ता जाता है इसलिए अपने आपको महत्त्व दीजिए कि में कहाँ-कहाँ सही गलत हूँ सुधार कर आगे आगे ‘बढ़ने का नाम ही जिंदगी है यह जानकारी बाल ब्र.गुंजा दीदी एवं श्री धर्म बहादुर जैन ने दी

लाइव कैलेंडर

September 2023
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  

LIVE FM सुनें